नई दिल्ली। फिलहाल भारत की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है।भारतीय हीरा कारोबारी का प्रत्यर्पण मुश्किल लग रहा है। पीएनबी घोटाले में आरोपी मेहुल चोकसी फ़िलहाल डोमिनिका पुलिस की कस्टडी में है और डोमिनिका की कोर्ट ने उसके प्रत्यार्पण पर रोक लगा दी है। मेहुल चौकसी के वकील ने वहां पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। इस कानून के तहत बंदी या नागरिक अपनी बात रखते हैं। इस मामले में आज यानि शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार 9 बजे सुनवाई होगी।
ऐसे भारत आने से बच गया चौकसी
डोमिनिका में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका बंदी या हिरासत में लिए जाने के खिलाफ नागरिकों के पास अपने बचाव के लिए यह कानून एक हथियार है जो नागरिकों को अपने हितों की रक्षा का लिए कोर्ट में जज के सामने जाने और अपनी सफाई पेश करने का अधिकार देता है।हालांकि, यह आरोपी को यह साबित करना होता है कि उसने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया है।
मेहुल चोकसी के डोमिनाका में वकील वेन मार्श ने कहा कि यह न्याय का उपहास है क्योंकि चोकसी कानूनी प्रतिनिधित्व का हकदार है, चाहे वह एंटीगुआ में हो या डोमिनिका में। वहीं, भारत में चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि उनके मुवक्किल (मेहुल चोकसी) को जॉली हार्बर से कई लोगों ने उठाया था, जहां उनके अचानक लापता होने के बाद उनकी कार मिली थी और फिर उन्हें डोमिनिका ले जाया गया।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में चोकसी के डोमिनिकाई वकील वेन मार्शे ने कहा कि मैंने पाया कि उसे (मेहुल चोकसी) बुरी तरह पीटा गया था, उसकी आंखें सूजी हुई थीं और उसके शरीर पर कई जले हुए निशान थे। उसने मुझे बताया कि एंटीगुआ के जॉली हार्बर में उसका अपहरण कर लिया गया था और उन लोगों द्वारा डोमिनिका लाया गया था जिन्हें वह भारतीय मान रहा था। एंटीगुआ पुलिस का मानना है कि उसे किडनैप कर एक जहाज पर ले जाया गया था, जो लगभग 60-70 फीट लंबा था। बता दें कि चोकसी के एंटीगुआ से फरार होने के बाद एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउनी ने कहा था कि मेहुल चोकसी को अब सीधे भारत को सौंपा जायेगा।