दादर मार्केट पर बांग्लादेशी मुस्लिमों का कब्जा?

अक्षता तेंदुलकर ने बीएमसी और जमाल के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया।

दादर मार्केट पर बांग्लादेशी मुस्लिमों का कब्जा?

दादर और भीड़ का अनोखा रिश्ता है। दादर एक प्रसिद्ध बाज़ार है। दादर में दुकानों से लेकर सड़क किनारे सस्ती दुकानों की भरमार है। दादर में फेरीवालों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। लेकिन बुधवार को दादर खुली सांस लेता नजर आया। दरअसल दादर में फेरीवालों की संख्या अचानक से कम हो गई। इन कारोबारियों के खिलाफ बीएमसी की कार्रवाई की तस्वीर सामने आई थी। उनका सीधा संबंध वडाला से था। बीजेपी पदाधिकारी अक्षता तेंडुलकर ने खुलासा किया कि वडाला में वास्तव में क्या हुआ था।

अक्षता तेंडुलकर ने जमाल और शम्सुद्दीन दोनों के कारनामों का पोल खोला। तेंदुलकर ने एक बार फिर दादर फेरीवालों के मुद्दे को इस तथ्य के कारण सामने लाया कि इन दोनों के बीएमसी अधिकारियों से मिलीभगत हैं। इसी से संबंधित उनका एक वीडियो भी वायरल हो गया था। बुधवार को अक्षता कार्यकर्ताओं के साथ वडाला के बीएमसी डिपो में घुस गई। और शमसुद्दीन को बहुत पीटा।

इस बारे में उन्होंने कहा कि मुस्लिम फेरीवालों की संख्या अचानक से बढ़ गई है। ये मुस्लिम फेरीवाले महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं और उन्हें ताना मारते हैं। जमाल तय करता है कि फेरीवालों को दादर में कहां रखा जाए और शमसुद्दीन तय करता है कि किस फेरीवाले के माल को उठाना है और उससे कितना पैसा वसूलना है। मराठी फेरीवालों को पेट भरने के लिए भीख मांगनी पड़ रही है। तेंडुलकर कहती हैं, कि एक समय ऐसा था जब मराठी फेरीवालों के अलावा दादर में कोई फेरीवाला नहीं हुआ करता था।

अक्षता तेंदुलकर ने बीएमसी और जमाल के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया है। कल उन्होंने बीएमसी के डिपो में जाकर इस कारनामे की जांच की थी। उनका ये वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। अक्षता का कहना है कि बीएमसी का दादर में जी नॉर्थ डिपो शिवाजी पार्क श्मशान घाट के पास था। किसी के उकसाने पर अचानक उनका तबादला वडाला कर दिया गया। दादर से बीएमसी की गाड़ियों द्वारा उठाया जाने वाला जो सामान इस शिवाजी पार्क डिपो में लाया जाता था। वो माल अब वडाला लाया जाता है। इस बिल्डिंग के डिपो में न तो सीसीटीवी है और न ही कोई सिस्टम।

जमाल का भाई शमसुद्दीन बीएमसी कार्यालय में बैठता है, जहां फेरीवालों से हफ्ता लेकर उनको कौन सी जगह पर बैठना है वो बीएमसी ऑफिस से तय करता है। कौन से फेरीवाले का सामान आज उठाया जाए, किसे छोड़ा जाए? किससे कितना पैसा वसूलना आई? यह शम्सुद्दीन तय करता है। क्या शमशुद्दीन एक सरकारी अधिकारी है, इसे बीएमसी ऑफिस में बैठने की इजाजत कौन दे रहा है। आखिरकार इसकेे पीछे किसका हाथ है?

हालात इतने खराब हो गए हैं कि स्थानीय फेरीवालों को उन्हें सलाम करना पड़ रहा है। लोगों को अपने माल छुड़ाने के लिए इस जमाल के हाथ-पाँव पर गिरना पड़ता है। जमाल पिछले ढाई साल से दादर में मुस्लिम फेरीवालों को ठहरा रहा है। आज यह संख्या काफी बढ़ गई है। ये मुस्लिम फेरीवाले एक कंपनी की तरह तीन शिफ्ट में काम करते हैं। रात में फेरी लगाने वाले 90 प्रतिशत मुस्लिम और बांग्लादेशी हैं। इनके पहचान पत्र पश्चिम बंगाल के हैं। पश्चिम बंगाल के हालात से सभी वाकिफ हैं। जब रोहिंग्या बांग्लादेश से आए थे तब उस समय पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सत्ता में थीं। वोट बैंक के तौर पर बंगाल से उन्हें सारे पहचान पत्र दिए गए। अक्षता का यह भी कहना है कि ये अब यह पूरे भारत में फैल चुके हैं और दादर में इसकी दस्तक शुरू हो गई है।

अक्षता तेंदुलकर भी दादर में अरेरावी के बारे में बात करती हैं, दादर में ये मुस्लिम फेरीवाले महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं अक्षता ने यह भी कहा कि उनकी शिकायतें मेरे पास आई हैं। उसने छेड़खानी के मामले में भी पोस्टिंग की है। दादर स्टेशन के बाहर मुस्लिम फेरीवाले चिल्लाते हैं क्या माल है, क्या माल है लेकिन वे सामान नहीं बेच रहे हैं। क्या इन दरिंदों को दादर से बाहर नहीं निकालना चाहिए जब वे अपनी ही मां बहनों को गंदी नजर से गुजरते हुए देखते हैं और अपनी जाति के भाइयों को भी उन्हें देखने की चेतावनी देते हैं? यह सवाल अक्षता तेंदुलकर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उठाया है। एक कार्यकर्ता ने यह भी शिकायत की है कि दादर में खरीदारी करते समय इन मुस्लिम फेरीवालों द्वारा महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है।

लोगों को यह भी नहीं पता कि दादर के कबूतरखाना में एक मस्जिद भी है। आज इस मस्जिद में बाहर से आए मुसलमानों को रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है। सारी सुविधाएं मस्जिद से की जाती हैं। इतना ही नहीं, ये भी देखा जाता है कि अपना बिजनेस कहां से शुरू करें। ये सारे काम जमाल मस्जिद से करता है। जमाल इस मस्जिद का ट्रस्टी हैं। जब इन मुसलमानों को कारोबार लगाने की इजाजत दी जाती है तो हर महीने रसीदें फाड़ दी जाती हैं। अक्षता तेंदुलकर ने गंभीर आरोप लगाया है कि इस पैसे का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया जाता है।

शोरमा कारोबार रानडे रोड से शुरू होता है। शोरमा का यह धंधा रानडे रोड, राजावाड़ी चौक, शिवाजी पार्क तक फैल चुका है। ये सारे शोरमा के धंधे मुसलमानों के हैं। यह पूछे जाने पर कि वे किस मालिक के हैं, कोई जवाब नहीं है। दादर में कबूतरखाना के पास राम मंदिर के पास एक मुस्लिम युवक शोरमा का कारोबार करता है। अक्षता तेंडुलकर कहती हैं कि हिंदू इतने मजबूर हो गए हैं कि वह लोग किस तरह की कोई आवाज नहीं उठाते।

दादर में भले ही 100 फीसदी व्यापारी हिंदू है, लेकिन आज दादर पर 75 प्रतिशत मुस्लिम फेरीवालों का कब्जा है। इसे समय रहते रोका जाना चाहिए। कुछ पैसों को कमाने के लिए यह लोग ऐेसी स्थिति पैदा कर रहे हैं। तेंदुलकर ने यह आशंका भी जताई है कि अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। इसके खिलाफ बीजेपी ने आज सात जनवरी को मुस्लिम फेरीवाला मुक्त दादर नाम से धरना दिया।

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