भारत में होली का कितना महत्व है इसका बखान किया जाना मुश्किल है। लोग बिना किसी चिंता के होली के दिन लाल पीले होते रहते हैं। होली पर लिखे गाने कई फिल्मों में सुपर हिट रहे हैं। होली के कई ऐसे गाने हैं जो आज भी लोकप्रिय हैं। जिसमें एक गाना तो चालीस के बाद भी सभी के जुबान पर तैरता रहता है। ऐसा लगता है कि होली में जब इस गाने की धुन पर हुड़दंगी नाचे गाये नहीं तो होली का रंग नहीं जमता है। बहरहाल, डिजिटल युग और वेब सीरीज में होली के गीत न लिखे जाते हैं और न ही फिल्मों फिल्माए जा रहे हैं। तो आइये आज इसी पर चर्चा करते हैं।
दो दोस्तों, रंग बरसे भीगे चुनरवाली … गाना आज भी होली के टॉप गानों में शुमार किया जाता है। सिलसिला फिल्म का यह गाना अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माया गया है। इस गाने को खुद अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन ने एक ऐसा ट्विस्ट किया था कि इस गाने की मिठास होली की मिठाई पर ज्यादा बढ़ जाती है। गुझिया और अन्य पकवान के साथ भांग पीकर जब हुड़दंगी इस गाने पर नाचना शुरू करते हैं तो देखने वालों की हंसी रोकने नहीं रूकती है। इस गाने को हर होली पर सुना जाता है और लोग इस गाने पर जमकर थिरकते हैं।
गौरतलब है कि सिलसिला फिल्म को यश राज चोपड़ा ने बनाई थी। जिसमें अमिताभ बच्चन,रेखा और जया भादुड़ी अहम किरदार में थे। इस फिल्म में यश चोपड़ा एक होली पर गाना रखना चाहते थे। वे ऐसा गाना चाहते थे कि हर कोई उस पर थिरक उठे। तब इस गाने को लिखने की जिम्मेदारी यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन को दी। इसके बाद हरिवंश राय बच्चन ने यश चोपड़ा के मन की बात को समझते हुए बड़े ही शिद्द्त के साथ इस गाने को रचा जो आज भी होली पर गाया और सुना जाता है।
हरिवंश राय बच्चन ने अवधी शब्दों को हिंदी के साथ शामिल किया और एक कालजयी गाना लिखा जो चालीस साल बाद भी हर कोई इस गाने को गाता और थिरकता है। बताया जाता है कि रंग बरसे भीगे चुनरवाली….. गाना मीरा के एक भजन से प्रेरित है। जो इस प्रकार है।
रंग बरसे ओ मीरा, भवन में रंग बरसे
कौन ऐ मीरा तेरो मंदिर चिनायो
क्यों चिनयो तेरो देवरो
रंग बरसे ओ मीरा, भवन में रंग बरसे
जिसमें हरिवंश राय बच्चन ने भक्ति भाव में प्रेम की अलख जगाई जो हर दिल में होली के दिन रंगीन हो जाते हैं। इस गाने की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे खुद अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी है। इस गाने में भारतीय वाद्य यंत्रों का खूब इस्तेमाल किया गया है। यह फिल्म सुपर हिट हुई थी। उस समय यह फिल्म 7 करोड़ की कमाई की थी।
बहरहाल, आज डिजिटल युग में न होली के गीत लिखे जा रहे हैं और नहीं फिल्माए जाते हैं। लेकिन नव्बे और अस्सी के दशक में फिल्मों में होली के गीत जरूर रखे जाते थे। लेकिन आज के दौर में होली पर गीत नहीं लिखे जाते हैं। ऐसे गानों से लोग फिल्म से जुड़ते थे। पर आज गाना लिखने वाले और फिल्म निर्माता होली के गाना रखने बचते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन गानों की वजह से फिल्म की कहानी आगे बढ़ती थी या कहानी में नया मोड़ आता था। लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं है। होली के गीतों से फिल्म निर्माता खुद को अलग कर लिए हैं।
दरअसल कई फिल्मों में होली के गीत सुपरहिट तो हुए ही हैं, साथ ही वे कहानी को आगे ले जाने में अहम कड़ी साबित हुए हैं। इसके बाद दर्शकों को अचानक से एक नया टेस्ट मिलता है। फिल्म निर्माता राजकुमार संतोषी ने अपनी फिल्म दामिनी में होली का गाना इसलिए रखा था कि वे कहानी में नया टिविस्ट ला सकें। इस फिल्म में होली के दौरान ही ऐसी घटना होती है जो कहानी को पूरी तरह पलट जाती है। इसी तरह शोले फिल्म में होली के गीत होली के दिन दिल मिल जाते हैं….. के बाद डाकू आ जाते हैं और दर्शकों को समझ में नहीं आता है कि यह क्या हुआ। हालांकि रमेश सिप्पी की यह फिल्म आज भी दर्शकों के मन मष्तिक पर अंकित हैं। आज भी लोग गब्बर सिंह और वीरू को किसी न किसी रूप में याद जरूर करते हैं।
वहीं 2003 में अमिताब बच्चन और हेमामालिनी को लेकर बनाई गई फिल्म बागवान में होली का गीत रखा गया था। जो अमिताभ बच्चन के आवाज में था। इस फिल्म को खासा पसंद किया गया था। लेकिन होली का गीत ‘होली खेले रघुबीरा अवध में’ … गाने के अंत में दोनों किरदारों का इमोशन कहानी में नया मोड़ लाता है। हालांकि, नए जमाने में लोग मैसेज भेजकर होली की बधाई देते हैं। इसी तरह फिल्मों से गाने भी गायब हो गए हैं।