2024 की तैयारी, किसका कुनबा किस पर भारी?

जहां विपक्ष 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्ष के राजनीति दल बैठक करेंगे। वहीं,18 जुलाई को दिल्ली में बीजेपी ने भी एनडीए के घटक दलों को बुलाया है। ऐसे में देखना होगा कि लोकसभा चुनाव तक कौन किस पर भारी पड़ेगा।

एक ओर जहां विपक्ष 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्ष के राजनीति दल बैठक करेंगे। विपक्ष लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटा हुआ है और अपना किला मजबूत करना चाहता है। वहीं,18 जुलाई को दिल्ली में बीजेपी ने भी एनडीए के घटक दलों को बुलाया है। इस बैठक में उन दलों को बुलाया गया है,जो बीजेपी के साथ आने को तैयार हैं या फिर एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं।
 दरअसल, विपक्ष की घेराबंदी के साथ ही बीजेपी ने भी अपना कुनबा बढ़ाने में लगी हुई है।  बिहार से जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ,चिराग पासवान की एलजेपी रामविलास भी एनडीए में शामिल हो गई है। चिराग पासवान के चाचा की भी पार्टी बीजेपी के साथ हैं। वैसे बताया जा रहा है कि बीजेपी की इस बैठक में लगभग 20 राजनीति दल शामिल होने वाले हैं। बैठक में शामिल होने वालों में महाराष्ट्र से शिंदे गुटकी शिवसेना ,  अजित पवार गुट की एनसीपी, बिहार से उपेंद्र कुशवाहा की आरएलजेड़ी, उत्तर प्रदेश से संजय निषाद पार्टी, ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, मेघालय से कोरनाड संगमा की एनपीपी, नागालैंड से एनडीबीपी, सिक्किम से एसकेएम ,हरियाणा से जेजेपी आदि राजनीति पार्टियां शामिल होंगी।

हालांकि, फिलहाल तो उत्तर प्रदेश के ओम प्रकाश राजभर चर्चा में है। उन्होंने 14 जुलाई को दिल्ली में बीजेपी के बड़े नेताओं के मुलाक़ात की थी। इसके बाद उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं के साथ विभिन्न मुद्दों पर बात हुई। 2024 में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।वहीं इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि ओम प्रकाश राजभर का एनडीए में उनका स्वागत करता हूँ। राजभरजी के एनडीए में आने से मजबूती मिलेगी। गौरतलब है कि ओम प्रकाश राजभर इससे पहले भी एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं।

उत्तर प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में वे बीजेपी के साथ थे। तब उन्होंने चार सीटों पर कब्जा जमाया था, इसके बाद उन्हें मंत्री पद भी दिया गया था। लेकिन वे बाद में अलग हो गए थे। इसके बाद ओम प्रकाश राजभर 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर किया था और चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उनकी पार्टी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। बाद में ओम प्रकाश राजभर सपा से भी नाता तोड़ लिया था। इसके बाद से वे कई मौकों पर बीजेपी का समर्थन किया। पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर का खासा दबदबा है।

बताया जा रहा है कि बीजेपी ने पूर्वांचल के 16 जिलों में नफा नुकसान को देखते हुए ओम प्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल किया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 100 से अधिक विधानसभा सीटों पर राजभर वोटर है। वहीं 28 सीटों पर ओम प्रकाश राजभर का असर माना जाता है। कहा जा रहा है कि ओम प्रकाश राजभर के बीजेपी के साथ जाने से सपा का खेल बिगड़ सकता है। ओम प्रकाश राजभर के साथ आने से पूर्वांचल में बीजेपी के लिए विरोधियों धूल चटाने में आसानी होगी। वहीं,सपा नेता दारा चौहान भी सोमवार को बीजेपी का दामन थामेंगे। 2022 में दारा सिंह चौहान बीजेपी को छोड़ सपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है। दारा सिंह अपना राजनीति करियर बसपा से शुरू किया था। 2015 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने 2022 में  समाजवादी पार्टी के साथ आ गए थे। अब एक बार फिर बीजेपी  के साथ जाने वाले हैं।

वहीं ,एनडीए की 18 जुलाई को होने वाली बैठक में पांच उन राजनीति दलों पर भी निगाहें लगी हुई जो अपना रुख अभी तक साफ नहीं की है। इनमें उत्तर प्रदेश के जयंत चौधरी की आरएलडी शामिल है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि आरएलडी बीजेपी के साथ जायेगी। हालांकि, यह बस यह कयास है, इसमें कितनी सच्चाई है। यह अभी देखना, क्योंकि माना जा रहा है कि जयंत चौधरी विपक्ष की बैठक में अखिलेश यादव के साथ शामिल होंगे। जयंत विपक्ष की पहली बैठक के दौरान विदेश में थे। जयंत चौधरी का यूपी के जाट बहुल जिलों में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। वहीं, पंजाब से शिरोमणि अकाली दल, आंध्र प्रदेश से चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, जगमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस में से कोई एक और ओडिशा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी पर असमंजस बना हुआ है।

बताया जा रहा है कि एनडीए की यह बैठक बीजेपी के सहयोगी दलों की राय लेने के लिए बुलाई गई है। बैठक मेंपीछे के एजेंडो पर बात होने की संभावना जताई जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी इस बैठक के जरिये विपक्ष को बड़ा संदेश देना चाहती है कि पार्टी अपने दम पर तो है ही, जातीय समीकरणों को भी साधने में भी वह कमजोर नहीं है। वहीं, बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक से पहले आम आदमी पार्टी  बैठक कर रही है। जिसमें यह चर्चा होगी की वह बेंगलुरु की बैठक में शामिल हो या न हो। वहीं, कांग्रेस ने केंद्र द्वारा दिल्ली पर लाये गए अध्यादेश पर आप का समर्थन नहीं करेगी। इससे देखते हुए कहा जा सकता है कि आप भी शायद ही बेंगलुरु की बैठक में शामिल हो। तो कहा जा सकता है कि विपक्षी एकता से पहले ही एक विकेट गिरा मान लिया जाए। तो दोस्तों इन्तजार करिये और देखिए लोकसभा चुनाव तक कौन किस पर भारी पड़ता है।

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