सत्ता में मोदी के 20 साल

सत्ता में मोदी के 20 साल

PM नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बनने से लेकर प्रधानमंत्री के कार्यकाल के अब तक के सफर में 20 साल पूरे कर लिए। मोदी ने 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। तब से लेकर अब तक वे बिना ब्रेक मुख्यमंत्री के बाद प्रधानमंत्री के पद पर बने हुए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी देश के ऐसे एकमात्र राजनेता बन गए हैं जो बिना रुके बिना थके लगातार दो दशकों से अपने दम पर पार्टी को चुनाव जिताकर सत्ता में ला रहे हैं। पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर लगातार 13 साल और अब बतौर प्रधानमंत्री लगातार 7 साल मिला दिया जाए तो मोदी सर्वोच्च पद पर बिना रुके 20 साल पूरे कर चुके हैं।

सात अक्टूबर 2001 को जब मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर काम संभाला तो उनके पास सरकार में काम करने का कोई अनुभव नहीं था, वो सीएम बनने से पहले पहले कहीं मंत्री भी नहीं थे, इसे लेकर राजनीतिक विरोधी उनकी क्षमता पर सवाल उठा रहे थे,पर मोदी ने सबको पीछे छोड़ दिया। वो बार-बार जनता की परीक्षा में ऐसे खरे उतरे कि शिखर पर बने रहने का ऐतिहासिक सिलसिला पहले मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री बनकर कायम रखे हुए हैं। लोकतंत्र में किसी भी नेता को ताकत जनसमर्थन से मिलती है, और लगातार जनसमर्थन सिर्फ उन नेताओं को ही मिलता है जो परफॉर्मर होते हैं। मोदी के दम पर ही बीजेपी को गुजरात में लगातार तीन चुनावों में दो तिहाई से ज्यादा बहुमत मिला, केंद्र में भी बीजेपी ने लगातार दो चुनाव मोदी के नाम पर ही लड़े और अकेले दम पर बहुमत हासिल किया। 2014 में तो मोदी की वजह से 30 सालों में पहली बार केंद्र में एक पार्टी को अपने दम पर बहुमत हासिल हुआ।

सरकारी सब्सिडी जरूरत मंदों तक पहुंचे और इसके लिए लोगों को घूस ना देनी पड़ी इसलिए लोगों के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी पहुंचाने का फैसला लिया गया। पर मोदी जानते थे कि करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास बैंक खाता ही नहीं है इसलिए पहले ऐसे गरीबों के भी बैंक अकाउंट खुलवाए जिन्होंने जीवन में कभी बैंक का मुंह भी नहीं देखा था, सरकारी और प्राइवेट दोनों बैंकों को जीरो बैलेंस वाले जनधन अकाउंट खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कम समय में देश भर में 45 करोड़ से ज्यादा जनधन बैंक अकाउंट खुल गए, लोगों को मिलने वाली सब्सिडी सीधे उनके खातों में ट्रांसफर होने लगी, इस क्रांतिकारी तरीके से करप्शन दूर हुआ और सरकारी फंडों का लीकेज बंद हो गया, बड़ी तादाद में लोगों को आर्थिक विकास के दायरे में लाया गया है।

वहीं दूसरी योजनाओं में मुद्रा में छोटा कारोबार चलाने वालों की दिक्कतों को पीएम मोदी ने समझा, उनके मुताबिक ये लोग कौशल से भरपूर होते हैं,पर कई बार छोटी सी पूंजी ना मिलने की वजह से वो कारोबार आगे नहीं बढ़ा पाते, ऐसे लोगों को ध्यान में रखकर छोटा कारोबार और सर्विस देने वालों के लिए मुद्रा योजना शुरू की गई, जिसमें बिना गारंटी 10 लाख रुपए तक के लोन दिए गए। छह सालों में अब तक मुद्रा योजना में करीब 15 लाख करोड़ रुपयों के लोन दिए गए हैं। पिछले 20 सालों के मोदी के भाषणों को सुने तो ज्यादातर में थीम गवर्नेंस और विकास ही रही है। दिल्ली की गद्दी संभालने के पहले ही गुड गवर्नेंस का उनका गुजरात मॉडल देशभर में खूब चर्चा में आ गया था। चुनाव में मोदी की लगातार जीत ने इस बात को पुख्ता किया है कि अच्छी गवर्नेंस भी जिताऊ चुनावी राजनीति हो सकती है।

यही वजह है कि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी अपने अंदाज में मोदी को कॉपी करना शुरू कर दिया। इसका अच्छा असर ये हुआ कि राज्यों के बीच विकास और गवर्नेंस को लेकर कंपिटीशन शुरू हो गया, ये कहा जा सकता है कि राज्यों के बीच आपस में निवेश को आकर्षित करने और विकास के कंपिटीशन की भावना शुरू करने का श्रेय मोदी को ही जाता है। मोदी में ये साहस है कि सरकार के सिस्टम की खामियों पर खुलकर बात करने के साथ सामाजिक बुराइयों पर भी दो टूक कहने से परहेज नहीं करते. वो इस मामले में भारत के दूसरे नेताओं से अलग हैं, इसे समझने के लिए स्वच्छ भारत मिशन, इंटरनेशनल योग डे, फिट इंडिया, खुले में शौच मुक्त भारत, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और उज्ज्वला स्कीम जैसे अभियानों को याद किजिए।

मोदी के 7 साल के कार्यकाल में बरसों से लटने विवाद खत्म हुए, जैसे कश्मीर से धारा 370 हटना, राममंदिर का भूमि पूजन सैकड़ों गैर जरूरी कानूनों का खात्मा हुआ। यह प्रधानमंत्री के पिछले सात सालों में किए गए कामों का ही नतीजा है कि आज भाजपा केवल उत्तर भारत की पार्टी के बजाय अब अखिल भारतीय पार्टी के रूप में उभरी है। ईस्ट में असम, त्रिपुरा हो या प. बंगाल. बीजेपी का वजूद हर जगह है, पार्टी पुडुचेरी में जगह बनाने के बाद दक्षिण विजय के द्वार पर खड़ी है।

 

 

 

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