राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद से कांग्रेस इस मामले को भुनाने की पूरी कोशिश कर रही है। माना जा रहा है कि यही कारण है कि कांग्रेस कोर्ट जाने के बजाय इस मामले को तूल देते हुए राजनीति कर रही है। इतना ही नहीं,सदस्यता मामले को लेकर पूरे देश को भी गुमराह करने की कोशिश कर रही है। रविवार को कांग्रेस द्वारा राजघाट पर संकल्प सत्याग्रह के नाम से आयोजित कार्यक्रम में प्रियंका गांधी ने अपने परिवार की दुहाई दी। इस कार्यक्रम में भगवान राम और पांडवों का भी जिक्र किया और उनके नाम पर सिम्पैथी बटोरने की कोशिश की।
ऐसे में कई तरह के सवाल उठने लगे है। इस दौरान प्रियंका गांधी ने पीएम को कायर और अहंकारी भी कहा। अब सवाल यह उठता है कि सही मायने में अहंकारी कौन है ? राहुल गांधी है कि पीएम मोदी हैं। एक तरफ जब राहुल गांधी से यह पूछा जाता है कि आप ने इस मामले में माफ़ी क्यों नहीं मांगी तो, राहुल गांधी कहते है कि वे सावरकर नहीं है, गांधी है और गांधी कभी किसी से माफ़ी नहीं मांगता है।
क्या राहुल गांधी यह शब्द बोलने से पहले महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को अपनाया है। कहने को तो राहुल गांधी बड़ी बड़ी बातें करते हैं, लेकिन क्या वे बताएंगे कि महात्मा गांधी के एक गाल पर तमाचा मारा गया तो वे अपना दूसरा गाल आगे बढ़ा दिए ? क्या राहुल गांधी का यह बयान महात्मा गांधी के विचारों से मेल खाता है ?
राहुल जैसे इस दुनिया में झूठा और अहंकारी कोई हो ही नहीं सकता है। झूठा इसलिए कि 2018 में राफेल मामले में चौकीदार चोर है कहा था, और सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांगी थी। उन्होंने इस मामले में लिखित माफीनामा दिया था। झूठा कौन हुआ यह प्रियंका गांधी तय करें। अब रही बात अहंकारी की तो प्रियंका गांधी अपने भाई को अहंकारी क्यों नहीं कहती। जिसने गलती की फिर भी माफ़ी माँगने पर कहते है कि सावरकर नहीं है, गांधी है। जो एक स्वत्रंतता सेनानी का अपमान है। राहुल गांधी बार बार वीर सावरकर का अपमान करते है।
बहरहाल, बड़ी अजीब बिडंबना है इस देश कि 70 साल बाद भी गाँवों में बिजली नहीं पहुंची थी। इससे बड़ी बात यह कि जिस देश में लगातार एक ही पार्टी की सरकार रही, वहां केवल बुनियादी चीजों पर राजनीति होती रही है। पानी, बिजली, घर और शिक्षा ऐसी चीजे है जिस पर भारत में काम नहीं हुआ था। लेकिन एक पार्टी लगातार सत्ता में रही, पर विकास के नाम पर लोगों को केवल भटकाती रही है। केवल गांधी सरनेम के साथ जनता को झुनझुना थमाती रही, भरमाती है। क्या देश की जनता नासमझ है कि एक बार फिर कांग्रेस के बहकावे में आ जाएगी।
ऐसा नहीं लगता है कि भारत की जनता भगवान राम के उदाहरण से संतुष्ट होगी। जो कांग्रेस भगवान राम को काल्पनिक बताती रही, आज उन्ही का नाम लेकर जनता को भरमा रही. राम मंदिर को कांग्रेस ने बनने नहीं दिया। कांग्रेस के नेता राम मंदिर के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ते रहे। आज उसी पार्टी की नेता भगवान राम की दुहाई देकर उनको अपने परिवारवाद से जोड़ रहे है। जिस लोकतंत्र की बात की जाती है उसमें क्या परिवारवाद की परिभाषा सटीक बैठती है। क्या लोकतंत्र में सभी को मौक़ा नहीं मिलना चाहिए ?
प्रियंका गांधी ने कहा कि अगर आप कांग्रेस को परिवारवादी कहते हो तो भगवान राम कौन थे ? भगवान राम को वनवास भेजा गया। लेकिन उन्होंने अपने परिवार और धरती के लिए अपना फर्ज निभाया। तो क्या भगवान राम परिवारवादी थे। प्रियंका गांधी ने गांधी परिवार की तुलना भगवान राम से ही नहीं की बल्कि पांडव से भी की। उन्होंने पूछा कि क्या पांडव परिवारवादी थे जो अपने परिवार के संस्कारों के लिए लड़े ? प्रियंका गांधी को बताना चाहिए कि क्या भगवान राम सत्ता के लिए 14 साल वन में रहे।प्रियंका को यह जानने की जरुरत है भगवान राम सत्ता के लिए वन में नहीं गए बल्कि अपने पिता के वचनों को पूरा करने गए।
एक बात और, क्या प्रियंका गांधी भगवान राम और पांडव का उदाहरण देकर गांधी परिवार को देश का राजा साबित करना चाहती है। हालांकि, उनके बयान से तो यही लगता है कि उनके पिता, उनकी दादी ने ही सबकुछ इस देश के लिए किया। और बाकी लोग इस देश के लिए कुछ नहीं किया। क्या प्रियंका गांधी त्रेतायुग में जी रही हैं, जहां राजा रजवाड़ों का शासन था।
क्या प्रियंका द्वापर युग में जी रही है, जहां धृष्टराष्ट अपने पुत्र मोह की वजह से अपने कुल का नाश कर दिया। वह राजा रजवाड़ों का समय था, क्या वर्तमान समय भी राजा रजवाड़ों का है? क्या प्रियंका गांधी चाहती है कि देश गांधी परिवार के आगे नतमस्तक रहे। गांधी परिवार कुछ भी गलत करे उस पर कार्रवाई न हो, क्या यह संविधान में लिखा है। जिस संविधान की दुहाई कांग्रेस के नेता देते हैं उसी की यही लोग धज्जियां उड़ाते है।
दूसरी बात, राहुल गांधी,अखिलेश यादव या आदित्य ठाकरे जैसे राजनीतिक दलों के वारिसों को मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने से रोका नहीं जा रहा है, बल्कि यह कहा जाता है कि आप सभी को मौक़ा दो। अगर भगवान राम ने अपने पराक्रम के बाद अयोध्या के राजा बने तो इसमें कहां परिवारवाद आता है।
वाह, क्या बात है? सबसे बड़ी बात यह कि भारत की मट्टी का पलीता लगाने में गांधी परिवार सबसे आगे रहा है। जिस तरह से आज प्रियंका गांधी भगवान राम की दुहाई दे रही है। आज नौ साल पहले कांग्रेसी नेता भगवान राम का नाम लेना पाप समझते थे। आज धर्म और संस्कार की आड़ लेकर प्रियंका गांधी राजनीति कर रही है। राहुल गांधी सभी मोदी सरनेम वालों को चोर बोलते हैं और उनकी सदस्यता चली जाती है।
आज जिस तरह से प्रियंका गांधी ने परिवारवाद का समर्थन किया है वह देश के लिए घातक है। क्या देश एक बार फिर परिवारवाद को समर्थन देगा ? जिस तरह गांधी परिवार गलती कर अहंकार दिखा रहा है? क्या देश 2024 के चुनाव में भावना में बह जाएगा ? ये वे सवाल है जो देश हित में हैं। लोकतंत्र पर सवाल उठाने वाले परिवारवाद का समर्थन कर लोकतंत्र को ही कटघरे में खड़ा कर दिए।
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