राहुल गांधी का मानना है कि कांग्रेस की सरकार राजस्थान में दोबारा सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी। बीजेपी ऐसा पहले ही कहती आ रही है। अब राहुल गांधी के बयान को अशोक गहलोत ने चुनौती करार दिया है। उन्होंने कहा है कि हम राहुल गांधी की चुनौती को स्वीकार करते हैं और हम सत्ता में वापसी कर दिखाएंगे। कहा जा सकता है कि चुनाव से पहले ही राहुल गांधी ने यह स्वीकार कर लिया है कि कांग्रेस राजस्थान में हार रही है।
दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली में राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जीत का दावा किया था। लेकिन उन्होंने राजस्थान के बारे में कहा था कि यहां करीबी मुकाबला होगा। राहुल गांधी के इस बयान के बाद से कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। कांग्रेस के नेता अब राहुल गांधी के बयान को लेकर सफाई दे रहे हैं। बीजेपी को भी राहुल गांधी के बयान से उसके दावे में दम नजर आ रहा है। वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी राहुल गांधी के बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि हम राहुल गांधी की चुनौती को स्वीकार करते है। उन्होंने कहा है कि हम जीत कर दिखा देंगे। वैसे, बीजेपी बार बार दावा कर रही है कि इस बार के चुनाव में पार्टी बहुमत के साथ सत्ता की कुर्सी पर काबिज होगी।
अगर राहुल गांधी राजस्थान को लेकर ऐसी आशंका जाहिर की है तो कुछ बता जरूर होगी। उन्हें इस संबंध में कुछ इनपुट मिला होगा। तभी उन्होंने ऐसा बयान दिया होगा। दरअसल, राजस्थान कांग्रेस को 2018 में सत्ता मिलते ही मुख्यमंत्री पद के लिए बखेड़ा का खड़ा हो गया था। यह मामला लगभग एक माह तक चला था। इसके बाद दिल्ली में इस मामले को गांधी परिवार ने ही सुलझाया था। उस समय कांग्रेस नेता सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। लेकिन, गांधी परिवार ने सचिन पायलट जैसे युवा नेता को तवज्जो न देकर 72 साल के कांग्रेस नेता अशोक गहलोत पर भरोसा जताते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। जबकि सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि बाद सचिन पायलट ने इस पद को अस्वीकार कर दिया था।
बाद में सचिन पायलट ने 2020 में कांग्रेस से बगावत कर दी थी। उन्होंने अपने 25 समर्थकों के साथ हरियाणा के मानेसर में डेरा डाल लिया था। हालांकि, सियासी जोड़तोड़ में अशोक गहलोत अपनी सरकार बचा ली और कांग्रेस ने भी इधर सचिन पायलट को मना लिया। तब से दोनों नेताओं में लगातार वाद विवाद जारी रहा। यहां यह भी चर्चा थी की पायलट अपनी नई पार्टी बनाएंगे। उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ अनशन भी किया था। इसी साल जब कांग्रेस गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनाने का प्लान रखा तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने से इंकार कर दिया। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने कही थी। यह भी मामला कुछ माह खूब सुर्खियां बटोरा। रेगिस्तान की सियासी गर्मी में कांग्रेस की भी छवि झुलसती रही।
इसके अलावा इन पांच सालों में कांग्रेस की गहलोत सरकार में राजस्थान में अराजकता देखी गई। उससे जनता अगर गहलोत की सरकार को बेदखल करती है तो यह इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। राजस्थान में हिन्दू त्योहारों पर खूब दंगे हुए है। एक आंकड़े के अनुसार राजस्थान में 2018 में तीन सौ बानबे, 2019 में तीन सौ उनचास, 2020 में तीन बयालीस दंगे हुए हैं। जबकि 2021 में झालवाड़ा और बारां में बड़े दंगे हुए थे। इसके अलावा 2022 में करौली में हिन्दू नववर्ष के मौके पर जब बाइक रैली निकाली जा रही थी, उस समय पथराव किया गया था। इसी साल एक और बड़ा दंगा हुआ था। इसके बाद से ऐसे कई घटनाएं हुई जिससे गहलोत सरकार की किरकिरी कराई।
इसके अलावा राजस्थान में महिलाओं के साथ रेप और अन्य आपराधिक मामले में सबसे आगे रहा है। 2023 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड़ ब्यूरो द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट अनुसार 2019 से लेकर 2021 तक राजस्थान में महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा रेप के मामले सामने आये थे। इस मामले में सरकार में भी असंतोष रहा है। 2023 में जब विपक्ष ने मणिपुर के मुद्दे को उछाला तो कांग्रेस के पूर्व नेता राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी सरकार को आइना दिखाया था। तब उन्होंने कहा था कि सरकार मणिपुर के बजाय अपने गिरबान में झांककर देखना चाहिए।
इसके बाद गहलोत ने राजेंद्र गुढ़ा को मंत्रिमंडल से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद से गुढ़ा गहलोत सरकार को घेरते रहे हैं। उन्होंने एक लाल डायरी का भी जिक्र किया था। जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि इस डायरी में गहलोत सरकार का काला चिट्टा है। हालांकि, अब राजेंद्र गुढ़ा एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना में शामिल हो गए हैं।
साथ ही कन्हैया लाल की हत्या के बाद से गहलोत सरकार पर बट्टा ही लग गया। एक विवादित बयान का समर्थन करने पर उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की मुस्लिम समुदाय दो लोगो ने हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद से गहलोत सरकार बैकफुट पर आ गई थी। वर्तमान में भी बीजेपी ने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की। पिछले दिनों जब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा राजस्थान आये थे तो उन्होंने अपनी रैली में इस मुद्दे को उठाया था।
इन घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर कांग्रेस की राजस्थान में दोबारा सत्ता में वापसी नहीं होती है तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होगा। कांग्रेस कई मौकों पर मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया है। राम नवमी पर गहलोत सरकार ने हिन्दू समुदाय द्वारा निकली जाने वाली शोभायात्रा को पर बंद कर दिया था। इसके अलावा गहलोत और पायलट के तनाव की खबरें हमेशा मीडिया की सुर्खियां बनती रही है।
हालांकि, गहलोत ने इसे चुनौती करार दिया है लेकिन क्या वे राजस्थान की जनता बीच केवल मुफ्त की योजना से टिक पाएंगे। क्योंकि गहलोत बार अपनी योजनाओं के बारे में बात कर रहे हैं। उन्होंने महिलाओं को मुफ्त मोबाइल देने का ऐलान किया है। सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी चुनाव से पहले ही राजस्थान चुनाव हारने की भविष्यवाणी की है ?