हर घर से शिवाजी महाराज का मावळा निकलेगा!

हर घर से शिवाजी महाराज का मावळा निकलेगा!

Shivaji Maharaj's Mavla will emerge from every house!

जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से आपने हमेशा भारत तेरे टुकड़े होंगे या, हर घर से अफजल निकलेगा जैसे नारे सुनें होंगे लेकीन अब हर घर से शिवाजी निकलेगा के नारे भी जेएनयू में लगने लगे है। जहां जेएनयू को लेफ्टिस्टों का अड्डा समझा जाता था, वहां अब जेएनयू में छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करने वालों को खड़े बोल सुनाए जा रहें है।

बीते दिनों जेएनयू में UGBM अर्थात यूनियन जनरल बॉडी मीटिंग हुई, जिसमें जेएनयूएसयू से सभी पैनल मेंबर सहित लेफ्टिस्ट पार्टियों के सभी छात्र नेता हाजिर थे, और इस जनरल बॉडी मीटिंग के दौरान वहां पर नारे लगे, ‘लॉन्ग लिव नक्सलबारी’ जहां एक तरफ केंद्र सरकार कसम खाकर नक्सलियों को ठोक रही है।वहीं के राष्ट्रिय विश्वविद्यालय में नक्सलवाद के पोषण के नारे लगाए जा रहे थे। केंद्र सरकार ने शपथ ली है 2026 तक वो सभी नक्सलवादियों ख़त्म करने जा रहें है, और इसी के विरोध में कहें या कुछ और पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाले नारे UGBM में लगाए जा रहें थे।

कई लोग यह मान चूके होंगे जेएनयू मतलब वामपंथियों के बाप का घर, जहां वो जो मन में आए कर जाएंगे, जो मन में आए बोल जाएंगे लेकीन उनकी गीदड़ भभकियों को चुनौती देने वाला कोई नहीं होगा। लेकीन इस मीटिंग के दौरान महाराष्ट्र से आने वाली एक छात्रा ने वामपंथियों को उनकी औकात दिखा दी। दरअसल जेएनयुएसयु के ऑफिस में रखी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को इन वामपंथियों ने 2 साल पहले कूड़े के डब्बे में फेंककर छत्रपति का अपमान किया था। हर बार हर घर से अफजल निकालने के नारे लगाए जा रहे थे। जिस पर गुस्साई छात्रा ने वामपंथियों को चुनौती देते हुए कहा की भले ही तुम्हे लगता हो की जेएनयू में महाराष्ट्र से आने वाले विद्यार्थी अल्पसंख्या में होंगे पर हमारी आवाज को कोई नहीं दबा सकता।

छात्रा ने वामपंथियों को चुनौती देते हुए कहा की तुम हर घर से अफजल निकलेगा के नारे लगाते हो, हम भारत के हर घर से शिवाजी महाराज का मावळा (छत्रपति शिवाजी महराज के सैनिक) निकालेंगे। बता दें की अफजल को कैसे ख़त्म करना चाहिए इस बात का प्रात्यक्षिक छत्रपति शिवाजी महाराज अपने जीवन काल में दे चुके है। इसीलिए वामपंथियों को अपने घर से अफजल निकालने से पहले सौ बार सोच लेना चाहिए। क्या पता आपके सामने चुनौती दे रही छात्रा जिजामाता से प्रेरणा ले रही हो।

जेएनयू सभी आम यूनिवर्सिटीओं की तरह ही है, जेएनयू में वामपंथियों की गंदी राजनीति के कारण बाकि छात्रों को भुगतना पड़ता है। यहां मीटिंग में प्रभु राम, तात्याराव सावरकर को नीच कहा जाता है, छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया जाता है ये केवल राजनीतिक अपरिपक्वता नहीं है, ये वामपंथियों की गिरी हुई सोच है, जिसे अब जेएनयू के छात्रों ने चुनौती देना शुरू किया है।

वामपंथी महामूर्ख होते है, उन्हें क्रांति के नाम से आप कुछ भी पढ़ा दो वो सच मान लेते है…अंत में केवल उन्हें अराजक लाना है ये सीखा दो, वो हर बात को सच मान लेंगे। छात्र जीवन में सभी का ATTITUDE रिबेलियस होता है लेकीन, वामपंथी विचारों के साथ ताउम्र वहीं लोग रहते है जो दिमागी बीमारी के शिकार होते है। आप इन वामपंथियों के नेताओं के इनके विचारकों के बारे में पढ़ेंगे तो ये सभी आपको दिमागी पागल मिलते है, कार्ल मार्क्स, सौल अलेन्स्की, थॉमस सेड, केट मिलेट आप किसी की भी जीवनी पढ़ लीजिए। इसीलिए यह जरुरी हो जाता है की छात्रों को उनके बारे में सिखाया जाए जो अराजकता नहीं, व्यवस्था सिखाए, जो विध्वंस नहीं निर्माण सिखाए। 

ये होगा कैसे? ऐसे जैसे महाराष्ट्र की सरकार जेएनयू में कर रही है। 

महाराष्ट्र सरकार ने जेएनयू में छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला लगाने की तैयारी की है, अगर शिवाजी महाराज दिखेंगे तो छात्र उनके बारे में सीखना भी चाहेंगे और इसे सिखाने के लिए ही जेएनयू में शिवाजी महाराज स्ट्रैटेजिक सेंटर भी बनाया जा रहा है। और महाराष्ट्र की परंपरा और संस्कृति के प्रचार के लिए मराठी भाषा अध्यासन केंद्र भी शुरू किया जा रहा है।

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हथियार बंद नक्सलवादियों को ख़त्म करने के लिए भारत के सुरक्षादल पर्याप्त है , लेकीन अर्बन नक्सलिज्म को ख़त्म करने के लिए वामपंथ का जो दीमक छात्रों के दिमाग में डाला जाता है, उसे ख़त्म करने के लिए महाराष्ट्र की सरकार के तरह कदम उठाने जरुरी है। और तभी तो हर घर से शिवाजी महाराज का मावळा निकलेगा। 

यह भी देखें:

https://youtu.be/ZXy1EhVzFlM

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