बिहार में अब आम नागरिकों की तरह ही जनप्रतिनिधियों, विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और अन्य माननीय व्यक्तियों से जुड़े आपराधिक मामलों की जांच भी तय समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी। इस संबंध में पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक को दिशा – निर्देश दिए हैं।
इस तरह के मामले की मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी सभी जिले के एसपी को दिया गया है।संबंधित जानकारी रेंज के डीआईजी, आईजी को देने का आदेश पुलिस मुख्यालय से दिया गया है। सुस्ती बरतने वाले केस के अनुसंधानकर्ता को चिन्हित कर कार्रवाई करने का भी आदेश दिया गया है। राज्य में माननीय से संबंधित अधिक मामले पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर और पूर्णिया में दर्ज हैं।
पटना हाईकोर्ट ने भी पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों पर लगातार निगरानी कर रहा है। अदालत ने इन मामलों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष अदालतों को भी निर्देश दिए हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मामलों की संख्या काफी अधिक हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एडीआर द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले कई उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में बिहार में 45 फीसदी से अधिक विधायकों पर आपराधिक मामले घोषित हैं। इनमें से कई मामलों को गंभीर आपराधिक श्रेणी में रखा गया है। इन मामलों में हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे आरोप शामिल हैं। एडीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में बिहार के 38% सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं।
दरअसल, राज्य में माननीय पर अधिकांश मामला राजनीतिक विरोध के दौरान प्रदर्शन, सरकारी काम में बाधा डालने, दंगा करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित हैं। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत चुनावों के दौरान धोखाधड़ी या नियमों का उल्लंघन करने के मामले को लेकर अधिक केस होता है।
पुलिस मुख्यालय ने साफ कर दिया है कि माननीयों से जुड़े मामलों की जांच में जानबूझकर देरी करने वाले अनुसंधानकर्ताओं पर अब कार्रवाई होगी। ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर विभागीय कैंची चलाने की तैयारी है। डीजीपी ने सभी जिलों से ऐसे मामलों की सूची तलब की है। जिनमें जांच लंबे समय से लंबित है।
खासकर वे मामले जो माननीय से जुड़े हैं और जिनकी जांच की धीमी गति को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह के मामलों को निपटाने की रणनीति तैयार की जा रही है। इस तरह के मामले में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरतने का आदेश दिया गया है।
पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिले में लंबित माननीयों के मामलों की स्वयं मॉनिटरिंग करें। उन्हें हर हफ्ते इन मामलों की अद्यतन स्थिति की रिपोर्टिंग पुलिस उप महानिरीक्षक को करनी होगी।
डीआईजी को भी इन रिपोर्टों की समीक्षा कर मुख्यालय को अवगत कराने के लिए कहा गया है। इस व्यवस्था से जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। लंबित मामले को निपटाने में भी तेजी आएगी। ऐसे मामलों के पेंडिंग रहने के कारण कई तरह के सवाल उठने लगते हैं।
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