भारतीय नौसेना की ताकत मंगलवार को और बढ़ गई जब एक साथ दो नए युद्धपोतों को सेवा में शामिल किया गया। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित भव्य समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीलगिरि क्लास के स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को नौसेना को सौंपा। ये दोनों पोत अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं और इन्हें दो अलग-अलग शिपयार्ड्स ने तैयार किया है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन युद्धपोतों के निर्माण में स्वदेशी तकनीक और उद्योगों का बड़ा योगदान रहा। 200 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) इस परियोजना से जुड़े, जिससे लगभग 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिला। यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
उदयगिरि और हिमगिरि प्रोजेक्ट 17-ए (पी-17ए) का हिस्सा हैं, जो पहले से मौजूद शिवालिक क्लास फ्रिगेट्स का उन्नत संस्करण है। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल सात युद्धपोत बनाए जाने हैं। इनमें से चार—नीलगिरि, उदयगिरि, तारागिरि और महेंद्रगिरि का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में, जबकि हिमगिरि, दुनागिरि और विंध्यगिरि का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में किया जा रहा है।
ये फ्रिगेट्स समुद्र में दूरगामी अभियानों के लिए तैयार किए गए हैं। इनमें स्टेल्थ डिजाइन, आधुनिक हथियार और अत्याधुनिक सेंसर लगाए गए हैं, जो जमीन, समुद्र और हवा से आने वाले हर तरह के खतरे से निपटने में सक्षम हैं। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल और अत्याधुनिक टॉरपीडो सिस्टम इन्हें और भी घातक बनाते हैं।
पिछले कुछ महीनों में आईएनएस सूरत, नीलगिरि, वागशीर, अरनाला और निस्तार जैसे कई स्वदेशी प्लेटफॉर्म नौसेना का हिस्सा बने हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय नौसेना तेजी से आत्मनिर्भरता और आधुनिकता की ओर कदम बढ़ा रही है। उदयगिरि और हिमगिरि का नौसेना में शामिल होना इस दिशा में एक और बड़ा पड़ाव है।
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