53 साल में बनकर तैयार हुआ ये डैम, 125 गांवों की समस्या होगी खत्म

1970 में मिली थी प्रोजेक्ट की मंजूरी।

नीलवंडे बांध के उद्घाटन को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस बुधवार को इसकी शुरुआत करेंगे। इस प्रोजेक्ट को लेकर लोगों की उत्सुकता अधिक हैं, क्योंकि इसे पूरा होने में 53 साल का वक्त लग गए। इस डैम की मदद से अहमदनगर के छह सूखे इलाकों में पानी की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।

साल 1970 में इस प्रोजेक्ट को महालादेवी के तौर पर स्वीकृति दी गई थी। नौ साल बाद 1979 में इस बांध को रीलोकेट करके नीलवंडे पहुंचा दिया गया। मंजूरी के वक्त इसकी अनुमानित लागत 7.9 करोड़ रुपये आंकी गई थी। अब जब ये 2023 में बनकर तैयार हुआ है तो इस पर 5177 करोड़ रुपये का खर्च आ चुका है। साल 2014 में बांध का काम तो पूरा हो गया , लेकिन नहर नेटवर्क का काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है। ये पूरा प्रोजेक्ट बांध और नहर नेटवर्क के साथ 182 किमी में फैला है।

बांध को बनने में 53 साल लग गए, लेकिन ये बांध कई गांवों में पानी की समस्या को दूर करेगा। 68000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की समस्या खत्म हो जाएगी। इस बांध के शुरू होने से नासिक और अहमदनगर के बीच के 125 गांवों में पीने के पानी की समस्या खत्म हो जाएगी। नीलवंडे डैम प्रोजेक्ट देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जहां छोटे डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए पाइप्ड नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। हालांकि इसे प्रयोग में लाने के लिए तीन साल और लगेंगे।

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