रिपोर्ट के अनुसार वास्तविक निजी उपभोग व्यय में वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह वित्त वर्ष 2024 में दर्ज 6.2 प्रतिशत की वृद्धि से मामूली गिरवाट को दर्शाता है। इसके अलावा सरकारी उपभोग खर्च में भी सिकुड़न देखने को मिली। वित्त वर्ष 24 में यह 6.6 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 25 में घटकर 1.8 प्रतिशत रह गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि मई 2025 तक देश में उपभोग मांग में मिली-जुली तस्वीर देखने को मिली। इसमें कहा गया कि गैर तेल गैर सोना और इलेक्ट्रॉनिक आयात में सुधार हुआ। वहीं ऑटो बिक्री, इस्पात खपत और बिजली की मांग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में धीमी गति देखी गई। कृषि क्षेत्र की बात करें तो सरकार ने खरीफ फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है।
वित्त वर्ष 2025 में कुल सरकारी खर्च संशोधित अनुमान (आरई) से कम रहा। कुल राजस्व व्यय 36 लाख करोड़ रुपये रहा, जो संशोधित अनुमान 37 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा कम है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में 12.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल 34.1 प्रतिशत की वृद्धि थी। वहीं, अप्रत्यक्ष कर वृद्धि पिछले साल के 6.3 प्रतिशत की तुलना में 4.3 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में कर राजस्व संग्रह में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है।
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