झारखंड में 103 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी छात्र नहीं है, फिर भी इन स्कूलों में 17 शिक्षक कार्यरत हैं। वहीं, राज्य के 7,930 स्कूलों में केवल एक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई हो रही है, जबकि इन स्कूलों में कुल 3,81,455 छात्र नामांकित हैं। यह जानकारी मंगलवार को झारखंड विधानसभा में सरकार की ओर से दिए गए जवाब में सामने आई।
धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ने राज्य में शिक्षकों और विद्यार्थियों की स्थिति को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने पूछा कि क्या यह सच है कि झारखंड के 199 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है, लेकिन वहां 398 शिक्षक कार्यरत हैं?
विधायक ने आरोप लगाया कि ऐसे स्कूलों में तैनात शिक्षकों को बिना किसी कार्य के वेतन दिया जा रहा है। कई स्कूलों पर अतिक्रमण कर दुकानों का संचालन हो रहा है, जबकि कुछ स्कूलों में रात के समय असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर इन स्कूलों को बंद क्यों नहीं किया जाता?
इस मुद्दे पर झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि स्कूलों में घटती छात्र संख्या को लेकर सरकार चिंतित है, लेकिन शिक्षकों को स्थानांतरित करने या स्कूलों को बंद करने से समस्या हल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इससे स्कूलों में छात्रों की संख्या और कम हो सकती है।
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सरकार ने इस स्थिति को सुधारने के लिए ‘स्कूल चलो अभियान’ जैसी पहल शुरू की है। यह अभियान विशेष रूप से उन इलाकों में चलाया जा रहा है जहां स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम हो गई है। इसके तहत शिक्षक और अन्य लोग उन छात्रों के घर जाकर उनसे स्कूल लौटने का अनुरोध कर रहे हैं, जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी है।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 26,001 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) से मंजूरी मिलने के बाद छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करने के लिए शिक्षकों की तैनाती की जाएगी।
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