महान कवि हरिवंश राय बच्चन की 115वीं जयंती

हरिवंश राय बच्चन को पहचान उनकी लोकप्रिय कविता संग्रह ‘मधुशाला’ से मिली थी।

महान कवि हरिवंश राय बच्चन की 115वीं जयंती

27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद वर्तमान में प्रयागराज में हिन्दी साहित्य के एक ऐसे महान व्यक्ति का जन्म हुआ। जो ताउम्र अपनी कलम से दुनिया को रौशन करते रहे।  उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ऐसी अद्भुत और उम्दा कविताएं लिखी हैं, जो आज भी पढ़ने वालों के दिल को छू जाती हैं। वे हिंदी साहित्य के छायावादी रचनाकार थे। हरिवंश राय बच्चन ने कई कृतियां लिखीं, लेकिन जब उनका जिक्र होता है तो सबके मन में ‘मधुशाला’ जरूर आती है, जिसे आज की युवा पीढ़ी ने भी जरूर सुना और पढ़ा होगा।   

हरिवंश राय बच्चन ने इलाहाबाद आकाशवाणी में भी काम किया था। इसके बाद भारत सरकार में हिंदी विशेषज्ञ के तौर पर कारर्यत रहे। हरिवंश राय बच्चन ने दो शादी की एक साल 1926 में श्यामा बच्चन से की जिनकी 1936 में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद इन्होंने तेजी बच्चन से साल 1941 में शादी की। तेजी बच्चन और हरिवंश राय बच्चन के दो बच्चे अमिताभ और अजिताभ बच्चन है। 

हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला सबसे फेमस कृतियों में से एक है। मधुशाला के बाद वर्ष 1936 में हरिवंश राय बच्चन का कविता संग्रह ‘मधुबाला’ और वर्ष 1937 में ‘मधुकलश’ आया। उनकी यह रचनाएं भी खूब प्रसिद्ध हुईं। उनके सबसे प्रसिद्ध कविता संग्रहों में ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अंतर’ और ‘सतरंगिनी’ जैसे कुछ नाम शामिल हैं। वहीं, उनकी रचना ‘दो चट्टाने’ को साल 1968 में हिन्दी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए बच्चन को वर्ष 1976 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया। 

हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्मकथा भी लिखी थी, जिसे चार खंडों में प्रकाशित किया गया था। इनका नाम, ‘क्या भूलूं क्या याद करूं’, ‘नीड़ का निर्माण फिर’, ‘बसेरे से दूर’ और ‘दशद्वार से सोपान तक’ है। 18 जनवरी, 2003 को 95 साल की उम्र में हिंदी साहित्य के इस महान फनकार ने मुंबई में अलविदा कह दिया। लेकिन उनकी रचनाएं आज भी साहित्य प्रेमियों के दिल में धड़कती हैं और वो अपने चाहने वालों को कभी अलविदा नहीं कहेंगीं।

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