नई दिल्ली। लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा में भी आरक्षण सूची वाला संविधान संशोधन बिल पास हो गया। यह बिल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ओबीसी आरक्षण की सूची बनाने का अधिकार देता है। इस दौरान बिल के पक्ष में 187 वोट और इसके विरोध में एक भी वोट नहीं पड़े। बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा में 127 वां संविधान संशोधन बिल ध्वनिमत से पारित हो गया। इस बिल को विपक्ष का समर्थन हासिल था। मंगलवार को भी लोकसभा में 385 सदस्यों ने इस बिल के समर्थन में मतदान किया था।
अब बिल में यह नियम: नए विधेयक के हिसाब से राज्य सरकारें अपने स्तर पर ओबीसी जातियों की लिस्ट बनाएगी और उनके आरक्षण के बारे में राज्यपाल के जरिये फैसला होगा। दूसरी ओर केंद्र अपने स्तर पर ओबीसी लिस्ट बनाएगी जिसे राष्ट्रपति मंजूरी देंगे। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट की पहले से रूलिंग है कि आरक्षण की सीमा 50 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकती, जिसमें ओबीसी का कोटा 27 परसेंट निर्धारित है, लेकिन 10 परसेंट अलग से सामाजिक और आर्थिक पिछड़े वर्ग के लिए रिजर्व रखा गया, जिसका लाभ अभी लोगों को मिल रहा है।
मौजूदा मामला इसलिए उठा है क्योंकि मराठा आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में गया जिस पर अदालत ने कहा कि यह अधिकार केंद्र के पास है। इसी साल 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर पुनर्विचार की याचिका पर सुनवाई करने की मांग खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 102वें संविधान संशोधन के बाद OBC लिस्ट जारी करने का अधिकार केवल केंद्र के पास है।
पहले यह था नियम: अभी तक नियम यह है कि राज्य ओबीसी की लिस्ट लेकर ओबीसी आयोग में जाते हैं जहां लिस्ट और उसकी जातियों पर फैसला लिया जाता है और आयोग मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजता है। अब नए विधेयक के मुताबिक राज्य अपनी लिस्ट बना सकते हैं और उस पर फैसला ले सकते हैं। इसके अलावा केंद्र की लिस्ट अलग से बनेगी। इससे संघीय ढांचे को बनाए रखने में मदद मिलेगी, क्योंकि ओबीसी लिस्ट बनाने का अधिकार राज्यों के साथ केंद्र के पास भी होगा।
मौजूदा मामला इसलिए उठा है क्योंकि मराठा आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में गया जिस पर अदालत ने कहा कि यह अधिकार केंद्र के पास है। इसी साल 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर पुनर्विचार की याचिका पर सुनवाई करने की मांग खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 102वें संविधान संशोधन के बाद OBC लिस्ट जारी करने का अधिकार केवल केंद्र के पास है।
पहले यह था नियम: अभी तक नियम यह है कि राज्य ओबीसी की लिस्ट लेकर ओबीसी आयोग में जाते हैं जहां लिस्ट और उसकी जातियों पर फैसला लिया जाता है और आयोग मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजता है। अब नए विधेयक के मुताबिक राज्य अपनी लिस्ट बना सकते हैं और उस पर फैसला ले सकते हैं। इसके अलावा केंद्र की लिस्ट अलग से बनेगी। इससे संघीय ढांचे को बनाए रखने में मदद मिलेगी, क्योंकि ओबीसी लिस्ट बनाने का अधिकार राज्यों के साथ केंद्र के पास भी होगा।