संसदीय समिति ने 20 मार्च को संसद को एक रिपोर्ट दी। जिसमें देश के पुराने बांधों की सुरक्षा पर एक संसदीय समिति ने चिंता व्यक्त किया है। संसदीय समिति के मुताबिक भारत में 234 बड़े बांध हैं जो 100 साल से अधिक पुराने हैं। उनमें से कुछ बांध ऐसे हैं, जिन्हें निर्मित हुए 300 वर्ष हो गए हैं, बावजूद इसके इनमें से किसी भी बांध को सेवामुक्त नहीं किया गया है।
बांध को रिटायर्ड करना एक बहुत जटिल प्रक्रिया है, जिसमें जल-विद्युत उत्पादन सुविधाओं को हटाना और जलग्रहण क्षेत्रों में पारिस्थितिक रूप से व्यवहार्य हस्तक्षेपों के माध्यम से नदी चैनलों को फिर से बनाना शामिल है। हालांकि बांधों को आम तौर पर 100 वर्षो की उम्र के लिए डिजाइन किया जाता है और उनका कार्यात्मक जीवन भी प्रगतिशील जलाशय के साथ-साथ परियोजना लाभों को कम करने के साथ कम हो जाता है, लेकिन भारतवर्ष में अभी तक किसी भी बांधों को रिटायर्ड नहीं किया गया है। जबकि अमेरिका सहित कुछ देशों ने अपने बांधों को बंद कर दिया है और नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल कर दिया है।
बता दें कि सुरक्षा अधिनियम- 2021 संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और यह 30 दिसंबर, 2021 से लागू हो गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य बांध की विफलता से संबंधित आपदाओं की रोकथाम और इनके सुरक्षित कामकाज को सुनिश्चित करने और एक संस्थागत तंत्र उपलब्ध कराने के लिए निर्दिष्ट बांध की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव सुनिश्चित करना है।
देश में बांध सुरक्षा हमेशा से एक मुद्दा रहा है, जिनमें गुजरात के मोरबी का माचू बांध शामिल हैं। यहां 36 बांध आपदाएं आई हैं, जहां 1979 में लगभग 2,000 लोग मारे गए और 12,000 से अधिक मकान नष्ट हो गए थे। भारत में वर्तमान में 5,334 बड़े बांध मौजूद हैं, जबकि 411 अन्य बड़े बांध निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। महाराष्ट्र 2,394 बांधों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि मध्य प्रदेश और गुजरात बांधों की संख्या के मामले में दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
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