30 अक्टूबर की तारीख UP और देश की राजनीति के लिए एक टर्निंग प्वाइंट की तरह

file foto

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर तमाम राजनीतिक दलों के बयान भी सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राम का नाम लेकर सियासी वैतरणी पार करने की कोशिश में भिड़ी तमाम राजनीतिक पार्टियों के लिए अयोध्या चुनावी मुद्दा भी बना हुआ है। 30 अक्टूबर की यह तारीख उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति के लिए एक टर्निंग प्वाइंट की तरह है। 30 अक्टूबर ने देश और उत्तर प्रदेश की राजनीति की दशा-दिशा को बदलने में बड़ा रोल निभाया है।

90 के दशक में मंडल आयोग के समर्थन और विरोध की लहर थी। सड़कों पर हुजूम देखा जाता था। अयोध्या में राम जन्मभूमि के लिए आंदोलन जारी था। सड़कों पर दो नारे अक्सर सुने जाते थे- बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम कारामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। 30 अक्टूबर 1990 राम मंदिर आंदोलन के सबसे अहम पड़ाव में से एक था। 1987 में विवादित स्थल का ताला खोले जाने के बाद से अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी। लालकृष्ण आडवाणी ने संतों के आंदोलन को बीजेपी का आंदोलन बताया और रथयात्रा शुरू की। यहीं से राम मंदिर के आधिकारिक रूप से चुनावी मुद्दा बनने की शुरुआत हुई। एक तरफ आडवाणी की रथयात्रा थी और दूसरी तरफ संतों का आंदोलन। इसी बीच अयोध्या में कारसेवा की तारीख रखी गई- 30 अक्टूबर 1990।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 30 अक्टूबर 1990 को लाखों की तादाद में कारसेवक अयोध्या पहुंचे। उस समय के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने विवादित स्थल पर परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा का ऐलान किया था। इन सबके बीच विवादित स्थल पर कारसेवा शुरू हो गई। कारसेवकों ने विवादित स्थल पर ध्वज लगा दिया। इसके बाद हुई पुलिस फायरिंग में कई लोग मारे गए। कारसेवा रद्द कर दी गई। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह को मुकाबला करने के लिए आगे किया। बीजेपी को जातिगत समीकरणों का भी फायदा हुआ, 1991 में कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। मुख्यमंत्री बनते ही कल्याण सिंह अयोध्या दौरे पर पहुंचे और राम मंदिर निर्माण की शपथ ली। उन्हीं के मुख्यमंत्री रहते हुए 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया।

राम मंदिर के नाम पर सत्ता में आने वाली बीजेपी के लिए हर गुजरता चुनाव और अयोध्या एक राजनीतिक मुद्दा बना रहा। अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। अबकी बार के उत्तर प्रदेश चुनाव में भी राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है। राम मंदिर निर्माण को बीजेपी अपनी जीत के रूप में पेश कर रही है। विपक्षी दल भी बयानबाजी कर रहे हैं। आज भी 30 अक्टूबर 1990 की घटना याद आती है। इस घटना ने ना सिर्फ देश यूपी बल्कि देश की राजनीति की दशा और दिशा को बदलने का भी काम किया है।

 

 

 

Exit mobile version