दिल्ली के 30 तुगलक रोड स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के बाहर 500 रुपये का जला हुआ नोट मिलने से सनसनी फैल गई है। रविवार(23मार्च) सुबह जब NDMC के सफाई कर्मचारी वहां पहुंचे, तो उन्हें जले हुए कागज के कुछ टुकड़े दिखाई दिए। जब इन्हें उठाकर देखा गया, तो पता चला कि यह 500 रुपये का जला हुआ नोट है। पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं, जिसमें अन्य जले हुए सामान भी बरामद हुए हैं।
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक वीडियो जारी किया था, जिसमें जस्टिस वर्मा के आवास से जले हुए नोटों की गड्डियां दिखाई गईं। इस खुलासे के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया, जो आरोपों की जांच करेगी। इस समिति में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधवालिया, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए समिति गठित की गई है और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। साथ ही, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का जवाब और अन्य दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जा रहे हैं।
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बता दें की, हाल ही में जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में आग लगने की घटना सामने आई थी, जिसके बाद यह मामला गंभीर हो गया। कथित तौर पर उनके आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी। अब जब उनके घर के बाहर जले हुए नोट मिले हैं, तो संदेह और गहरा गया है कि कहीं यह सबूत मिटाने की कोशिश तो नहीं थी। इस मामले ने न्यायपालिका और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की जांच में अब यह स्पष्ट होगा कि जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों में कितनी सच्चाई है।