संसद में अभद्र व्यवहार करने वाले विपक्षी नेताओं पर हो सकती है कार्रवाई

संसद में अभद्र व्यवहार करने वाले विपक्षी नेताओं पर हो सकती है कार्रवाई

नई दिल्ली। संसद में हुए हंगामे के बाद से राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सांसदों के व्यवहार पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सदन में दोनों पक्षों को बराबर सम्मान दिया जाता है। मै हमेशा कहा है कि सदन को चलाने के लिए दोनों पक्षों की जिम्मेदारी होती। वहीं, विपक्षी नेताओं द्वारा मार्शलों के साथ किये गए अभद्र व्यवहार पर राज्यसभा के सभापति बड़ा एक्शन ले सकते हैं। मिली जानकारी के अनुसार उपराष्ट्रपति इसी तरह के मिसालों और कार्यों  को देख रहे है।

राज्यसभा के सभापति जल्द ही सदन में विपक्षी सांसदों के कथित अनियंत्रित व्यवहार पर कार्रवाई पर फैसला कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए पिछले उदाहरणों और ऐसी कार्रवाइयों का गहन अध्ययन किया जा रहा है। मामले को विशेषाधिकार समिति को भी सौंपा जा सकता है या फिर एक नई समिति का गठन भी किया जा सकता है। समाचार एजेंसी से बात करते हुए सभापति ने कहा कि सदन में दोनों पक्षों को समान सम्मान दिया जाता है। मैंने हमेशा से कहा है कि सदन के सुचारू संचालन के लिए दोनों पक्षों की सामूहिक जिम्मेदारी होती है। संसद में हंगामे के मुद्दे पर सभापति नायडू ने कहा कि विधायिकाएं बहस और चर्चा के लिए होती हैं। बाहर की राजनीतिक लड़ाई सभा पटल पर नहीं लड़ी जानी चाहिए।
मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कुछ अमर्यादित घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई पर विचार किए जाने पर नायडू ने कहा कि विस्तृत विचार के बाद जल्द से जल्द उचित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने विधेयकों को सदन की प्रवर समिति को भेजे जाने पर भी अपने बात रखी। उन्होंने कहा कि जब भी सदन में ऐसे मामलों पर मतभेद होते हैं, तो सदन सामूहिक रूप से निर्णय लेता है। इसके लिए कोई पक्ष सदन पर दबाव नहीं बना सकता। इस बीच सरकार ने राज्यसभा में 11 अगस्त को हुए हंगामे को लेकर सभापति को रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कहा गया है कि सीपीआई (एम) सांसद इलामारन करीम ने पुरुष मार्शल के साथ अभद्रता की। वहीं, कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम और छाया वर्मा ने महिला मार्शल को खींचा और प्रताड़ित किया।
दो सुरक्षा अधिकारियों ने गुरुवार को सदन के वेल में विरोध प्रदर्शन के दौरान विपक्षी सदस्यों के व्यवहार के बारे में एक लिखित शिकायत सौंपी। उन्होंने शिकायत की कि सदन में ड्यूटी के लिए तैनात सुरक्षा अधिकारियों ने हंगामे के दौरान किसी भी सदस्य के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया, बल्कि उनमें से कई ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

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