पुलिस की गिरफ्तारी से डरे PTI नेता फवाद, दौड़कर पहुंचे हाई कोर्ट

फवाद चौधरी पर आरोप है कि उन्‍होंने आगजनी और हिंसक विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दिया।

पुलिस की गिरफ्तारी से डरे PTI नेता फवाद, दौड़कर पहुंचे हाई कोर्ट

आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान में सियासी ड्रामा ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। 9 मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से देश भर में ये लगातार बवाल और हिंसा जारी है। हालांकि महज तीन दिन के भीतर PTI अध्यक्ष को जमानत दे दी गई। वहीं लाहौर उच्च न्यायालय ने जमानत के अनुरोध वाली इमरान की याचिका पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। हाई कोर्ट की तरफ से इमरान की गिरफ्तारी के बाद हुए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में पंजाब प्रांत में उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में फैसला सुरक्षित रखा है।

इसी कड़ी में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के नेता फवाद चौधरी का एक वीडियो सामने आया है। मंत्री फवाद चौधरी हाईकोर्ट से जमानत मिलने के तुरंत बाद जैसे ही अपनी गाड़ी में बैठे वैसे ही उन्होंने एंटी टेररिज्म स्क्वाड को अपनी ओर आते हुए देखा। इसके बाद फवाद गाड़ी से निकलकर दोबारा हाई कोर्ट की ओर भाग गए। हैरानी की बात ये है कि हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी पुलिस ने फवाद को गिरफ्तार करने की कोशिश की।

बता दें, अपनी जमानत के दौरान फवाद ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने धारा 144 का उल्लंघन नहीं किया। वह विरोध प्रदर्शनों में शामिल नहीं हुए थे। गौरतलब है कि इससे पहले इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने PTI के कई नेताओं की गिरफ्तारी को सार्वजनिक अध्यादेश के रखरखाव के एक्ट 3 के अंतर्गत अवैध घोषित किया है और सभी को जमानत दे दी गई है। वहीं  इससे पहले आज, आईएचसी ने पीटीआई नेताओं फवाद, शिरीन मजारी और सीनेटर फलक नाज की गिरफ्तारी को सार्वजनिक अध्यादेश के रखरखाव (एमपीओ) की धारा 3 के तहत “अवैध” घोषित किया था।

जस्टिस मियां गुल हसन औरंगजेब की अदालत ने पीटीआई नेताओं को रिहा करने का आदेश अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जारी किया है। सुनवाई के दौरान फवाद चौधरी की तरफ से बैरिस्टर जहांगीर जादून बेंच के सामने उपस्थित हुए। उन्होंने अदालत के सामने कुछ फैक्ट्स रखने की इजाजत मांगी। जिस दौरान उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश की कॉपी न तो आईजी ऑफिस को दी गई है, और न ही लॉ अधिकारियों को। कोर्ट को उन्होंने यह भी बताया कि याचिका पर पीटीआई नेता का बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन भी नहीं हुआ है। हालांकि इस दलील पर जज ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि यह देखना जज का काम है कि बायोमेट्रिक हुआ है या नहीं।

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