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Friday, September 20, 2024
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अमेरिका ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बनाया यह प्लान

काबुल एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल को करेगा टेकओवर

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नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के बाद सभी देश अपने नागरिकों वहां से निकालने में लगे हुए है। इस बीच अमेरिका ने कहा कि काबुल एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल को टेकओवर कर लेगा। और अपने नागरिकों को निकालने के लिए अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या बढ़ाएगा। यह जानकारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने दी।

एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने सीएनएन से कहा कि अमेरिका ने रविवार को काबुल में तैनात अपने दूतावास के 500 कर्मियों को अफगानिस्तान से बाहर निकाला। अमेरिकी दूतावास के करीब 4000 स्टाफ अब भी देश से निकाले जाने बाकी हैं। इनमें अमेरिकी और अफगानी नागरिक भी हैं, जो दूतावास के लिए काम करते हैं। रविवार को रिपोर्ट सामने आई थी कि अमेरिका काबुल में अपने दूतावास से सभी कर्मचारियों को 72 घंटों में निकाल लेगा। रक्षा अधिकारी ने बताया कि पेंटागन ने पहले घोषणा की थी कि 3,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजा जा रहा है। लेकिन अफगानिस्तान में अचानक स्थिति बिगड़ने के बाद पेंटागन ने इसे बढ़ाकर 6,000 करने का फैसला किया। संयुक्त बयान में कहा गया है, “अमेरिकी अप्रवासी वीजा के योग्य अफगान नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया भी तेज कर रहे हैं. बीते दो हफ्तों में करीब 2,000 लोगों को अमेरिका पहुंचाया गया है।”
काबुल में अमेरिकी दूतावास ने सभी कामकाज निलंबित को कर दिया है और अमेरिकी नागरिकों से किसी सुरक्षित स्थान पर आश्रय लेने को को कहा है। दूतावास ने रविवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर गोलीबारी की खबरें मिल रही हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से बचे हुए कर्मचारियों को व्‍यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जुलाई में औपचारिक घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से वापस आ जाएंगे। वह बलों की वापसी संबंधी अपने फैसले पर दृढ़ हैं। उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस पर खेद नहीं है और अब समय आ गया है कि अफगानिस्तान के लोग ‘‘अपने लिए लड़ें’’।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने उत्तराधिकारी बाइडन की आलोचना की और उन पर असंगत फैसलों से अफगान नीति पर पूरी तरह से विफल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “तालिबान अब अमेरिका या अमेरिका की शक्ति से नहीं डरता है या उसका सम्मान नहीं करता। कितनी शर्म की बात होगी, जब तालिबान काबुल में अमेरिकी दूतावास पर झंडा फहराएगा  यह कमजोरी, अक्षमता और रणनीतिक रूप से असंगत फैसलों के कारण मिली एक पूर्ण विफलता है। ”

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