नोबेल पुरस्कार विजेता और महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर के बांग्लादेश स्थित पैतृक घर पर हमला होने की घटना ने भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में गहरी प्रतिक्रिया पैदा की है। सिराजगंज ज़िले में स्थित ऐतिहासिक ‘रवींद्र कचहरीबाड़ी’ में भीड़ द्वारा की गई तोड़फोड़ और हिंसा ने स्थानीय माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ८ जून को एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ रवींद्रनाथ टैगोर संग्रहालय (रवींद्र कचहरीबाड़ी) की यात्रा पर आया था। पार्किंग शुल्क को लेकर उसका विवाद संग्रहालय की देखरेख करने वालों से हो गया। आरोप है कि विवाद इतना बढ़ गया कि कर्मचारियों ने उस व्यक्ति को एक कमरे में बंद कर मारपीट की।
इस घटना के बाद इलाके में रोष फैल गया। मंगलवार (10 जून) को स्थानीय लोगों ने विरोध में मानव श्रृंखला बनाई, जिसके बाद भीड़ ने संग्रहालय परिसर में घुसकर सभागार में तोड़फोड़ की और प्रबंधन से जुड़े एक अधिकारी पर हमला कर दिया।
बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार, पुरातत्व विभाग ने इस हमले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति को पाँच कार्यदिवसों के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस ने भी घटना की जांच शुरू कर दी है।
इस हमले को लेकर भारत में भी तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली है। भारतीय जनता पार्टी ने इस घटना पर नाराज़गी जाहिर करते हुए बांग्लादेश सरकार को आड़े हाथों लिया है। भाजपा प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि “इस हमले के पीछे कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी और हिफाज़त-ए-इस्लाम बांग्लादेश का हाथ है।”
पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा, “यह हमला हमारे साझा सांस्कृतिक विरासत, हमारी पहचान और हमारे मूल्यों पर सीधा हमला है। रवींद्रनाथ टैगोर सिर्फ भारत ही नहीं, पूरे उपमहाद्वीप की आत्मा हैं।”
रवींद्र कचहरीबाड़ी रवींद्रनाथ टैगोर और उनके परिवार की यादों से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां टैगोर ने कई महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ की थीं। इस स्थान पर हुए हमले ने बांग्लादेश में सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता खड़ी कर दी है।
घटना को लेकर बांग्लादेश सरकार की ओर से अब तक आधिकारिक निष्कर्ष नहीं आया है, लेकिन दोनों देशों के साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और नागरिक संगठनों ने इस हमले की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह हमला केवल एक संरचना पर नहीं, बल्कि एक साझा विरासत और ऐतिहासिक पहचान पर है – जिसका सम्मान और सुरक्षा दोनों ही देशों की जिम्मेदारी है।
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