अयोध्या: श्री रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’ देख भावविभोर हुए श्रद्धालु!

"सूर्य की किरणें भगवान रामलला के माथे को छू रही थीं। यह वास्तव में एक दिव्य और भक्तिपूर्ण अनुभव था। रामलला के माथे पर सूर्य तिलक देखना आध्यात्मिक रूप से संतुष्टिदायक था।"

अयोध्या: श्री रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’ देख भावविभोर हुए श्रद्धालु!

Devotees-were-overwhelmed-after-seeing-the-Surya-Tilak-of-Shri-Ram-in-Ayodhya

रामनवमी पर श्री राम लला के दर्शन करने के लिए रविवार को देशभर से श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के अयोध्या पहुंचे। यहां पर दोपहर में ठीक 12 बजे भगवान सूर्य ने रामलला के ललाट पर तिलक किया! जिसे देख कतारबद्ध श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। अयोध्या में सूर्य तिलक समारोह देखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए पूजा शेखर ने कहा, ” राम नवमी के अवसर पर, हम अयोध्या सपरिवार आई। यहां की व्यवस्थाएं बहुत बढ़िया थीं। हमने मंदिर के अंदर सूर्य तिलक देखा तो देखते ही रह गए।”

उन्होंने आगे कहा, ” सूर्य की किरणें भगवान रामलला के माथे को छू रही थीं। यह वास्तव में एक दिव्य और भक्तिपूर्ण अनुभव था। रामलला के माथे पर सूर्य तिलक देखना आध्यात्मिक रूप से संतुष्टिदायक था।” पूजा ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं की तारीफ करते हुए कहा कि बहुत बढ़िया व्यवस्था की गई थी। हर जगह पानी की व्यवस्था, जमीन पर कालीन बिछाई गई थी और भीड़ को नियंत्रित करने का बहुत अच्छा प्रबंध था। हम इसके लिए योगी सरकार का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं।

वहीं, प्रीति सिंह ने बताया कि श्रीराम लला के भव्य दर्शन कर मन को शांति मिली। जिला प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की गई। रामनवमी पर श्रद्धालु की भारी भीड़ होने के बावजूद किसी को परेशानी नहीं हुई। हम खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि अपनी आंखों से हमने श्री राम का सूर्य तिलक देखा।

श्रद्धालु लक्ष्मण ने बताया कि आज परिवार के साथ भगवान श्री राम के भव्य और दिव्य दर्शन किए। यहां आकर काफी अच्छा लगा। योगी सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्था की है। अयोध्या निवासी श्रद्धालु ने कहा कि सूर्यतिलक देखकर मन को सुकून मिला है। भीड़ बहुत ज्यादा था लेकिन जिला प्रशासन द्वारा बहुत ही अच्छी व्यवस्था की गई थी।

श्री राम लला के जन्मोत्सव पर वैज्ञानिक तरीके से प्रभु के ललाट पर सूर्य की किरणों को स्पर्श कराया गया। शनिवार को इसे लेकर आखिरी ट्रायल हुआ था। आठ मिनट तक चले इस ट्रायल को कराने के दौरान इसरो के साथ-साथ आईआईटी रुढ़की और आईआईटी चेन्नई के विशेषज्ञ मौजूद थे।

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