अयोध्या राम मंदिर: अंतिम दर्शन और शव यात्रा के बाद आचार्य सत्येंद्र दास को दी गई ‘जल समाधि’!

आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 से बतौर पुजारी के रूप में श्री रामलला की सेवा प्रारंभ की थी|

अयोध्या राम मंदिर: अंतिम दर्शन और शव यात्रा के बाद आचार्य सत्येंद्र दास को दी गई ‘जल समाधि’!

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राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू नदी में ‘जल समाधि’ दी गई| आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ पीजीआई में बुधवार को निधन हो गया था| इसके बाद आचार्य सत्येंद्र दास का शव लाया गया था, जहां पर लोगों ने अंतिम दर्शन किए| इसके बाद गुरुवार को सत्येंद्र दास के शव की भव्य शोभा यात्रा निकालते हुए सरयू नदी पर ले जाया गया| यहां से बोट के जरिए सरयू नदी के अंदर सत्येंद्र दास के शव को ले जाकर जल समाधि दी गई|

श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का लखनऊ पीजीआई में इलाज चल रहा था| इलाज के दौरान ही ब्रेन हैमरेज होने से बुधवार की सुबह उनका निधन हो गया था|संतकबीरनगर में जन्मे आचार्य सत्येंद्र दास ने 34 साल तक रामलला की सेवा की|

बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत पिछले कुछ महीनों से खराब चल रही थी| 29 जनवरी को ब्रेन स्ट्रोक के चलते उन्हें अयोध्या के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से चार फरवरी को लखनऊ पीजीआई रेफर किया गया था| तब से पीजीआई में उनका उपचार चल रहा था| चार फरवरी को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई में मुलाकात की थी|

आचार्य सत्येंद्र दास 1958 में पिता से अनुमति लेने के बाद घर परिवार को छोड़कर सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत बाबा अभिराम दास के शिष्य बने और 1960 में पुजारी बने| इसके साथ ही संस्कृत पाठशाला में आचार्य तक संस्कृत की शिक्षा ली|

सत्येंद्र दास सन 1976 में रामकोट क्षेत्र स्थित त्रिदंडदेव संस्कृत पाठशाला में व्याकरण विभाग में संस्कृत के शिक्षक बने, जहां उन्हें 75 रुपए वेतन मिलता था| इस बीच राम मंदिर आंदोलन भी तेज हो गया और वह अपने गुरु बाबा अभिराम दास के साथ रामलला की सेवा के लिए जाने लगे|

1992 में विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद कोर्ट के आदेश पर तैनात रिसीवर के द्वारा सत्येंद्र दास को पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया| आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 से बतौर पुजारी के रूप में श्री रामलला की सेवा प्रारंभ की थी|

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