बाबूजी,बस कैसे भी घर पहुंच जाएं,बस में महिला मजदूर ने दिया बच्चे को जन्मा

बाबूजी,बस कैसे भी घर पहुंच जाएं,बस में महिला मजदूर ने दिया बच्चे को जन्मा

भोपाल। डॉक्टरों ने मना किया है कि तुम्हें सफर नहीं करना है। अप्रैल के महीने में कभी भी प्रसव पीड़ा शुरू हो सकता है। लॉकडाउन के खौफ के आगे वह बेबस हो गई और आने वाले बच्चे की परवाह न करते हुए अपने पति के साथ घर के लिए निकल गई। बस में प्रसव पीड़ा हुआ और उसने रास्ते में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चे को जन्म दिया है। यह कहानी एमपी के छतरपुर जिले की रहने वाली 27 वर्षीय मुन्नी बाई की है। मुन्नी बाई अपने पति के साथ पन्ना जिले में रहती है। वहीं, रहकर पति काम करते हैं। कोरोना के हालात बेकाबू हैं।

वीकेंड लॉकडाउन एमपी में लागू है। मुन्नी बाई और उसके पति को लगता है कि पूरे देश में फिर से लॉकडाउन लग जाएगा। फिर हम कहां कमाएंगे और खाएंगे क्या। इससे पहले हम अपने घर पहुंच जाएं। पिछले साल के मंजर को याद कर एमपी के बाहर रहने वाले मजदूरी ऐसे ही घर वापसी कर रहे। कोरोना की दूसरी लहर पहले से ज्यादा खौफनाक है। देश में कई तरह की पाबंदियां लगाई जा रही हैं। दूसरे प्रदेशों में कमाने खाने वाले मजदूर भी अब खौफ के साए में हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली से लोग घर लौट रहे। 27 वर्षीय मुन्नी बाई ने रविवार को बस में एक बच्चे को जन्मा है, जब वह मध्यप्रदेश के छतरपुर स्थित अपने घर लौट रही थी। उन्हें जब प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो ड्राइवर गाड़ी को नौगांव स्थित एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले गया। वह अपने पति हरिशंकर रजक और 15 अन्य लोगों के साथ पड़ोसी जिले पन्ना से घर लौट रही थी।

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