विजयपत सिंघानिया की किताब से रोक हटी

उद्योगपति के बेटे गौतम सिंघानिया पिता की आत्मकथा के प्रकाशन के खिलाफ गए हैं कोर्ट

विजयपत सिंघानिया की किताब से रोक हटी

मशहूर उद्योगपति व रेमंड समूह के पूर्व चेयरमैंन विजयपति सिंघानिया की किताब की बिक्री पर लगी रोक को बांबे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हटा दिया है। इसके पहले सिंघानिया के बेटे व रेमंड समूह के अध्यक्ष गौतम सिंघानिया की य़ाचिका पर हाईकोर्ट की ही एकल बेंच ने सिंघानिया की आत्मकथा वाली किताब की बिक्री-प्रसारण पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ किताब के प्रकाशन ने याचिका दायर की थी।

इससे पहले हाईकोर्ट के एकल न्यायमूर्ति ने सिंघानिया की आत्मकथा से जुड़ी किताब की बिक्री व वितरण पर 4 नवंबर 2021 को रोक लगा दी थी। एकल न्यायमूर्ति के आदेश को किताब  के प्रकाशक पैन मैक मिलन पब्लिशर प्राइवेट लिमिटेड ने अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ  के  सामने चुनौती दी  थी। जिस पर बुधवार को खंडपीठ  के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान किताब  के  प्रकाशक  की ओर से पैरवी  कर रहे अधिवक्ता सिध्देश  भोले ने कहा  कि चार नवंबर को रेमंड कंपनी की ओर  से जो कोर्ट में याचिका दायर की गई थी उसे उसमें पक्षकार नहीं बनाया  गया था। इस लिहाज से एकल न्यायमूर्ति की ओर से दिया गया आदेश खामीपूर्ण है। निचली अदालत में भी कंपनी ने जो दावा दायर किया था। उसमें मेरे मुवक्किल को पक्षकार नहीं बनाया गया था।

वहीं कपनी  के  वकील ने  एकल न्यायमूर्ति के आदेश  को न्यायसंगत बताया और कहा कि किताब  के प्रकाशक की ओर से 4 नवंबर को वकील ने पैरवी की थी। किंतु खंडपीठ ने सुनवाई के बाद एकल न्यायमूर्ति के  आदेश  को खामीपूर्ण माना। खंडपीठ ने कहा कि  एकल न्यायमूर्ति ने यह मान कर आदेश दिया था  कि निचली अदालत ने किताब के प्रकाशक के खिलाफ भी आदेश जारी किया है।  इसलिए एकल न्यायमूर्ति  के आदेश को  खारिज  किया जाता  है। फिलहाल हम इस  मामले में ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे। सिंघानिया व उनके बेटे गौतम के बीच आत्मकथा से जुडी किताब की रिलीज को लेकर विवाद चल रहा है।

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