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Wednesday, December 31, 2025
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बांग्लादेश में एक और हिंदू की हत्या: क्या देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं?

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं एक बार फिर गहराती दिख रही हैं। बीते दो हफ्तों में तीसरे हिंदू व्यक्ति की हत्या की खबर सामने आई है। ताजा मामला मयमनसिंह का है, जहां एक हिंदू परिधान फैक्ट्री कर्मचारी बजेंद्र बिस्वास की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी की रिपोर्टें लगातार सामने आ रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 40 वर्षीय बजेंद्र बिस्वास की सोमवार (29 दिसंबर) को मयमनसिंह के भालुका उपजिला स्थित सुलताना स्वेटर्स लिमिटेड फैक्ट्री में उनके सहकर्मी नोमान मिया ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह वारदात उस वक्त हुई, जब बिस्वास ड्यूटी पर थे। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आरोपी नोमान मिया को गिरफ्तार कर लिया गया है।

बजेंद्र बिस्वास बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के अधीन आंसर बाहिनी के सदस्य थे, जो देश में आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था में सहयोग करने वाला अर्धसैनिक बल है। आरोपी नोमान मिया भी इसी बल का सदस्य बताया गया है। आरटीवी बांग्लादेश की रिपोर्ट के अनुसार, घटना के समय फैक्ट्री में करीब 20 आंसर सदस्य तैनात थे।

प्रत्यक्षदर्शी और आंसर सदस्य एपीसी अजहर अली ने एनडीटीवी को बताया, “घटना के समय आंसर सदस्य नोमान मिया और बजेंद्र मेरे कमरे में साथ बैठे थे। अचानक उसने बजेंद्र की जांघ पर बंदूक (शॉटगन) तान दी और कहा, ‘क्या मैं गोली मारूं?’ और फिर फायर कर दिया। इसके बाद नोमान भाग गया।”  घटना से पहले दोनों के बीच किसी तरह का विवाद नहीं देखा गया था।

गंभीर रूप से घायल बिस्वास को उपजिला स्वास्थ्य परिसर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।बिस्वास की हत्या बीते दो हफ्तों में बांग्लादेश में किसी हिंदू की तीसरी हत्या बताई जा रही है। इससे पहले 18 दिसंबर को मयमनसिंह में 27 वर्षीय दीपु चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। उन पर कथित तौर पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। दास को जिहादी भीड़ ने कर पेड़ से बांध दिया गया और बाद में आग लगा दी गई।

इस घटना के बाद भारत के दिल्ली और पश्चिम बंगाल सहित कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। दीपु दास के पिता ने एनडीटीवी से कहा, “मेरे बेटे को नौकरी मिलना किस्मत की बात थी, क्योंकि वहां ड्रॉ के जरिए भर्ती होती थी। वह बीए पास था और प्रमोशन की तैयारी में था।” उन्होंने आगे आरोप लगाया, “कुछ लोगों ने, जिन्हें नौकरी नहीं मिली, साजिश रचकर उसकी हत्या कर दी। उन्होंने धमकियां दी थीं और बाद में उस पर ईशनिंदा का झूठा आरोप फैलाया।”

24 दिसंबर को एक और हिंदू युवक अमृत मंडल उर्फ सम्राट की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। उस पर कथित तौर पर वसूली की कोशिश का आरोप था। पुलिस ने दावा किया कि वह लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों में शामिल था।

इन हत्याओं के अलावा, हाल के हफ्तों में हिंदू परिवारों के घरों पर आगजनी की कई घटनाएं भी सामने आई हैं। पिरोजपुर जिले के डुमरीतला गांव में एक हिंदू परिवार का घर जला दिया गया। पीड़ित साहा परिवार ने बताया कि हमलावरों ने घर के दरवाजे बाहर से बंद कर दिए थे और वे किसी तरह टीन और बांस की दीवार काटकर बाहर निकल पाए।

भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई है। 26 दिसंबर को भारत ने कहा कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत 2,900 से अधिक हिंसक घटनाएं दर्ज की गई हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथियों द्वारा की जा रही लगातार हिंसा गंभीर चिंता का विषय है।”

हालांकि कुछ विश्लेषकों का कहना है कि शेख हसीना के शासनकाल में भी छिटपुट घटनाएं होती रही हैं, लेकिन उनकी सत्ता से विदाई के बाद अल्पसंख्यक समुदायों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। ढाका के एक हिंदू बैंकर देबराज भट्टाचार्य ने अल जज़ीरा से कहा था कि हसीना के पतन के बाद ग्रामीण इलाकों में हिंदू समुदायों में भय और असुरक्षा स्पष्ट रूप से बढ़ी है।

बांग्लादेश में फरवरी 2026 में चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या आने वाले समय में देश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर हालात सुधरेंगे या नहीं। फिलहाल, घटनाओं की श्रृंखला ने इस सवाल को और गंभीर बना दिया है।

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