बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदूओं पर हमले किए जा रहे हैं। ISKCON ट्रस्ट के सचिव चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी को लेकर बांग्लादेश में हिंदुओं ने प्रदर्शन शुरू किए थे। जिस पर बांग्लादेश के दंगाई मुस्लिम रिजीम समर्थकों ने ताबड़तोड़ हमले किए। कई हिंदू घायल है। ऐसे में हिंदुओं की अग्रिम संगठनों में से एक विश्वहिंदू परिषद बजरंग दाल ने चिन्मय प्रभु समेत सभी हिंदू प्रदर्शनकारियों के सुरक्षा के लिए आवाज उठाई है।
दरसल बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार (11 नवंबर ) को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिंदू समूह ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के विरोध में सैकड़ों की संख्या हिंदू सड़कों पर उतरे थे, जिनपर बांग्लादेश की उन्मादिओं ने प्रदर्शनकारियों पर हमले किए। इस हमले में एक प्रोफेसर के गंभीर रूप से घायल होने की बात सामने आयी है।
बता दें कि चिन्मय कृष्ण दस ने बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान हिंदुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ प्रदर्शनों की शुरुवात की थी। बांग्लादेश पुलिस की खुफिया शाखा के प्रवक्ता रेजाउल करीम ने उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए उनपर राजद्रोह का मुकदमा होने की बात की है।
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद युनूस शासनकाल में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा तेजी से बढ़ रही है। हिंदुओं के घरों-गाड़ियों में आग लगा दी जा रही है। हिंदुओ को बेवजह घरों से निकालकर पीटा जाने लगा। उन्हें सरकारी नौकरियों से तत्काल इस्तीफा देने के लिए जबरदस्ती की जा रही है। इन घटनाओं का ISKCON के धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी उर्फ चिन्मय प्रभु ने खुलकर विरोध करने पर यूनुस सरकार ने चिन्मय प्रभु पर ही राजद्रोह के मामले में एक्शन लिया है।
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में 30 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाते हुए चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 हिंदुओं पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। इस बीच, हिंदू समुदाय के सैकड़ों लोग चटगांव के चेरागी पहाड़ चौराहे पर सड़कों पर उतकर दास की तत्काल रिहाई की मांग की। इसी तरह राजधानी में हिंदू समुदाय के लोगों ने गिरफ्तारी के विरोध में देर शाम शाहबाग चौराहे को जाम कर दिया।
वहीं विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अलोक कुमारजी से हिंदू समाज पर लगातर हो रहे हमले और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, “ISKCON के प्रमुख सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की हवाई अड्डे से राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी करना चिंताजनक है। ISKCON एक शांतिपूर्ण और भक्ती का संगठन है। श्रीकृष्ण की भक्ति के माध्यम से पुरे विश्व में प्रेम फैलाता है। श्रीकृष्ण की भक्ती में लीन होकर नाचना गाना, ब्रम्हचर्य का पालन करते हुए संयमित जीवन व्यतीत करना यह सब किया जाता है। ऐसी संस्था का और ऐसे सन्यासियों का किसी तरह के आतंक से कोई संबंध हो ही नहीं सकता। चिन्मय के मंदिर पर पिछले दिनों जो हमले हुए उनके विरोध में उन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को जागृत करना, उनको सड़क पर लाकर प्रदर्शन करने के लिए नेतृत्व करना, सरकार से बात करना की राजधर्म यही है की देश के अल्पसंख्यांको का जीवन सुरक्षित हो, इसके लिए सब अधिकारियों से कहना, यह सब उन्होंने किया होगा। यह सब संविधान के दिए हुए अधिकारों में आता है। अगर कोई अपने संप्रदाय की अपने लोगों की रक्षा की मांग करें, सुरक्षा, वेलफेयर और दंगों के कारण हुए नुकसान के भरपाई की मांग करें उसे राजद्रोह नहीं कहा जा सकता।…ISKCON तो प्रेम का संगठन है उसमें आतंक का स्थान ही नहीं है, वे आतंक की कल्पना नहीं कर सकते। ISKCON के सन्यासी और अभ्यासी भक्त इनका किसी भी आतंकी कारवाई से सबंध हो ही नहीं सकता। … हमलें न हो इसकी मांग करना, जिन्होंने किए है उन्हें दण्डित किया जाए ऐसी मांग करना यह बात तो उचित है। इसमें राजद्रोह कहां से आता है ? उसमें आतंकवाद कहां से आता है, यह तो और भी चिंताजनक हुआ की लोगों ने जब इसपर प्रदर्शन किया तो उस प्रदर्शन पर भी कुछ लोगों द्वारा हमला करने का समाचार आया है। यह अच्छा नहीं है, ISKCON ने भारत सरकार से भी मदद की मांग की है, मैं तो पुरे विश्व समुदाय से कहूंगा की किसी एक भी व्यक्ति की सीविल लिबर्टी और स्वतंत्रता का हनन होता है, तो यह सभी के अधिकारों का हनन है।”