बस्ती। कुदरत का खेल निराला है। कोरोना की वजह से बस्ती की गुड़िया को अपने पति को दो बार मुखाग्नि देनी पड़ी। मेरठ मेडिकल कॉलेज से पैसों के अभाव में जब शव नहीं मिला तो गुड़िया ने अपने पति का पुतला बनाकर दाह संस्कार कर दिया।लेकिन,75 दिन बाद फिर उसे जानकारी मिली कि उसके पति का शव हापुड़ मोर्चरी में रखा हुआ है। इसके बाद गुड़िया हापुड़ जाकर दोबारा पति का अंतिम संस्कार किया। कोरोना महामारी ने कई घर उजाड़ दिए। कई बच्चे अनाथ हो गए।
बस्ती जिले स्थित परसरामपुर ब्लॉक अंतर्गत नाथपुर गांव का रहने वाला नरेश (34) पिछले करीब 17 साल से हापुड़ में ठेला लगाकर परिवार पालता था। वहीं के न्यू पन्नापुरी इलाके में किराए के मकान में परिवार समेत रहता था। गत 13 अप्रैल को कोरोना संक्रमित नरेश की तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने गढ़रोड स्थित सीएचसी में उसे भर्ती कराया। वहां से मेडिकल कॉलेज मेरठ रेफर कर दिया गया, जहां 15 अप्रैल को उसकी मौत हो गईं। नरेश की पत्नी गुड़िया ने फोन पर बताया कि मेरठ मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पति का शव देने के लिए 15 हजार रुपये मांगे। उसने रकम का इंतजाम न होने पर शव नहीं मिला गुड़िया अपने तीन मासूमों के साथ बस्ती स्थित अपने गांव चली आई। यहां पति के शव का पुतला बनाकर अंत्येष्टि की। नात-रिश्तेदारों के सहयोग से ब्रह्मभोज किया।
इसके 75 दिन बाद गत 30 जून को परसरामपुर थाना पुलिस ने जो सूचना दी कि नरेश का शव हापुड़ में मोर्चरी में रखा हुआ है। वहां जाकर अंतिम संस्कार करो। गुड़िया देवर विजय के साथ एक बार फिर हापुड़ रवाना हो गई। पहली जुलाई को पति का अंतिम दर्शन करने के बाद स्वास्थ्य विभाग और एक स्वयंसेवी संस्था के सहयोग से शव का दाह-संस्कार किया। सीएमओ ऑफिस हापुड़ के मुताबिक मेडिकल कॉलेज मेरठ ने नरेश का शव हापुड़ भिजवा दिया था। उसे जीएस मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में रख दिया गया था। सीएमओ ऑफिस ने हापुड़ पुलिस से रामनरेश के परिजनों से संपर्क करने की गुजारिश की। सर्विलांस की मदद से नरेश, उसकी पत्नी और भाई का नम्बर ट्रेस करते हुए पुलिस ने बस्ती पुलिस को जानकारी दी। बता दें कि कोरोना महामारी ने कई बच्चों को बना दिया है। सरकार ने इन बच्चों को के लिए कई सुविधाओं की घोषणा की है। उनकी पढ़ाई निशुल्क होगी और उन्हें गार्जियन को खर्च दिए जायेंगे।