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भारत-बोत्स्वाना संबंधों का नया युग: राष्ट्रपति मुर्मू की ऐतिहासिक यात्रा ने क्यों दिया साझा भारत–अफ्रीका भविष्य का संदेश

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नवंबर 2025 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की बोत्स्वाना यात्रा भारत–बोत्स्वाना संबंधों में एक ऐतिहासिक पड़ाव बन गई। यह किसी भारतीय राष्ट्रपति की बोत्स्वाना को पहली राजकीय यात्रा थी। एक ऐसा क्षण जिसने भारत की अफ्रीका के साथ साझेदारी को नई दिशा प्रदान की, खासकर भारत-अफ्रीका फ़ोरम समिट (IAFS) के व्यापक ढांचे में। 2026 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने वाले हैं, ऐसे समय में हुई यह यात्रा प्रतीकात्मक होने के साथ-साथ रणनीतिक महत्व भी रखती है। इसने व्यापार, तकनीक, क्षमता निर्माण और सतत विकास को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत किया।

11 नवंबर को राष्ट्रपति मुर्मू गाबोरोन पहुँचीं, उनके साथ जल शक्ति व रेल राज्य मंत्री वी. सोमनन्‍ना और सांसद पी. वसावा तथा डी. के. अरुणा भी मौजूद रहे। बोत्स्वाना के राष्ट्रपति डूमा गिडियन बोको ने उनका स्वागत करते हुए भारत को “Mother of Democracy” बताया और कहा कि बोत्स्वाना के राष्ट्र-निर्माण में भारत हमेशा एक विश्वसनीय साझेदार रहा है। बोको के कार्यकाल में यह पहली राज्य यात्रा थी, जो उनकी भारत के साथ संबंधों को नई ऊँचाई देने की इच्छा का संकेत है।

दोनों नेताओं ने व्यापक वार्ता में व्यापार, निवेश, कृषि, अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा और डिजिटल तकनीक जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत के “विकसित भारत 2047” विज़न को अफ्रीका की “एजेंडा 2063” आकांक्षाओं के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।

भारत, बोत्स्वाना के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में शामिल है। लगभग 500 मिलियन डॉलर के वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार में हीरे सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं। बोत्स्वाना से भारत कच्चे हीरे आयात करता है और सूरत जैसे केंद्रों में उन्हें प्रोसेस कर विश्व बाज़ारों में निर्यात करता है।

वार्ता में दोनों देशों ने हीरा मूल्य श्रृंखला के डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों—जैसे कटिंग, पॉलिशिंग और वैल्यू ऐडिशन—में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई। IAFS-II (2011) में भारत ने बोत्स्वाना में डायमंड कटिंग हब स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था—अब उस पहल को पुनर्जीवित करने की बात फिर से सामने आई है।

फार्मास्यूटिकल, ICT, शिक्षा और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों की मजबूत उपस्थिति है। राष्ट्रपति मुर्मू ने बोत्स्वाना के उद्योग जगत को नवीकरणीय ऊर्जा, खनन और डिजिटल नवाचार में साझेदारी के लिए आमंत्रित किया—जहां भारतीय विशेषज्ञता परिवर्तनकारी हो सकती है। SACU सदस्य होने के कारण बोत्स्वाना भारतीय फर्मों को दक्षिणी अफ्रीका के बड़े बाजार तक पहुंच भी देता है।

एक उल्लेखनीय उपलब्धि दोनों देशों के बीच फ़ार्माकोपिया सहयोग समझौता हुआ, जिससे बोत्स्वाना को गुणवत्तापूर्ण और किफायती भारतीय दवाइयों तक बेहतर पहुंच मिलेगी। भारत, बोत्स्वाना के अनुरोध पर एंटीरेट्रोवायरल (ARV) दवाओं की आपूर्ति भी करेगा। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बोत्स्वाना के कार्यशील आयु वर्ग की लगभग 20% आबादी HIV-Positive है।

शिक्षा और प्रशिक्षण भारत-बोत्स्वाना संबंधों का सबसे प्रभावशाली स्तंभ रहे हैं। 2024-25 में ICCR के लिए 500 आवेदकों में से 54 बोत्स्वाना छात्रों का चयन हुआ। पिछले एक दशक में ITEC, ICCR, IAFS और कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत 1,300 से अधिक उम्मीदवार लाभान्वित हो चुके हैं।

2010 से अब तक 11 बोत्स्वाना शोधकर्ताओं को सी. वी. रामन अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप भी मिली,जिससे देश की वैज्ञानिक क्षमता बढ़ी। भारत के बैंकिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और डायमंड पॉलिशिंग क्षेत्रों में निवेश बोत्स्वाना की “विजन 2036” आवश्यकताओं से मेल खाता है। स्थानीय रोजगार और कौशल विकास में भारतीय कंपनियों का योगदान बोत्स्वाना में विशेष रूप से सराहा जाता है। गाबोरोन की नेशनल असेंबली में संबोधन के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि दोनों देशों में लोगों के बीच का संपर्क हमारी साझेदारी की असली ताकत हैं।”

यात्रा का सबसे चर्चित क्षण था, प्रोजेक्ट चीता के तहत बोत्स्वाना से भारत को चीतों का हस्तांतरण। गाबोरोन के पास मकोलोडी नेचर रिज़र्व में दोनों राष्ट्रपतियों की उपस्थिति में आठ चीतों को भारत के कुनो राष्ट्रीय उद्यान भेजने से पहले औपचारिक रूप से प्रदर्शित किया गया। ये चीते गान्ज़ी क्षेत्र से आए हैं और नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका से पहले भेजे गए चीतों के समूह में शामिल होंगे।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस पहल को “हमारे राष्ट्रों के बीच साझेदारी की भावना का जीवंत प्रतीक” बताया। यह केवल संरक्षण का प्रयास नहीं, बल्कि साझा पर्यावरणीय मूल्यों और सतत विकास की प्राथमिकताओं का संकेत है। बोत्स्वाना को अफ्रीका में लोकतंत्र और सुशासन के आदर्श के तौर पर माना जाता है। नियमित चुनाव, शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण और उच्च प्रशासनिक मानक इसका प्रमाण हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने इसे “लोकतंत्र, सुशासन और प्रभावी नेतृत्व का चमकदार उदाहरण” कहा।

भारत और बोत्स्वाना, दोनों, UN सुरक्षा परिषद में सुधार और G20 में अफ्रीकी संघ की सदस्यता—जिसे भारत ने 2023 में आगे बढ़ाया, जैसे मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ खड़े हैं।

बोत्स्वाना में लगभग 10,000 की भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच सबसे मजबूत मानव-सेतु है। व्यापार, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में उनका योगदान उल्लेखनीय है। राष्ट्रपति मुर्मू ने उनसे मुलाकात में उन्हें “भारत के जीवित राजदूत” बताया।

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