अंतरिक्ष में भारत की ताकत का अंदाज पूरी दुनिया को लग चुका है। मंगलयान से लेकर चंद्रयान तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान यानी ISRO लगातार इस क्षेत्र में नए प्रयोगों के जरिए भारत को दुनिया में एक नई पहचान दिला रहा है। इसी कड़ी में अब इस वर्ष चंद्रयान 3 पर सबकी नजरें टिकी हुई है। खबर है कि भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की ISRO की तैयारी अंतिम चरणों में है।
खबरों के मुताबिक बेंगलूरु में चंद्रयान 3 को लेकर काम तेजी से चल रहा है। यान के पेलोड्स की असेंबलिंग का काम स्टार्ट कर दिया गया है। यही वजह है कि इसके आधार पर ये कहा जा रहा है कि जुलाई के महीने में चंद्रयान 3 को लॉन्च कर दिया जाएगा। लेकिन जुलाई में महीने में मॉनसून अपने पीक पर होता है। इस मिशन को सफल बनाने के लिए मौसम का साफ होना बहुत जरूरी है। हालांकि मौसम ठीक नहीं हुआ तो इसमें और देरी हो सकती है।
इसरो को मुताबिक, चंद्रयान 3 में सिर्फ लैंडर और रोवर ही भेजा जाएगा। जबकि ऑर्बिटर नहीं भेजा जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रयान 3 वहां पहले से मौजूद चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर से संपर्क में लाया जाएगा। वहीं इसरो ने बीते वर्ष 2022 में ही उलार्थी कवालू में चंद्रमा के नकली गड्डो निर्मित किए गए थे। इन्हीं गड्ढों में लैंडर और रोवर को लेकर टेस्टिंग भी की गई थी। ये टेस्टिंग काफी हद तक सफल रही थी। बताया जा रहा है कि इस बार लैंडर और रोवर के सैंसर्स की जांच भी कर ली गई है ताकि संपर्क को लेकर ज्यादा दिक्कत ना हो।
मून मिशन प्रोग्राम के तीसरे अंतरिक्ष यान को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के सबसे भारी लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी एमके III से लॉन्च किया जाएगा। इसरो चीफ ने हाल ही में कहा था, चंद्रयान-3 का प्राथमिक उद्देश्य सही लैंडिंग होना है। उसके लिए बहुत सारे काम किए जा रहे हैं, जिसमें नए उपकरणों का निर्माण, बेहतर एल्गोरिदम का निर्माण और साथ ही विफलता के तरीकों का ध्यान रखना शामिल है।”
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