स्टडी में दावा: बूस्टर डोज से 10 गुना कम होगा कोरोना का खतरा

स्टडी में दावा: बूस्टर डोज से 10 गुना कम होगा कोरोना का खतरा

नई दिल्ली। एक अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना की बूस्टर डोज़ यानि की तीसरी खुराक बुजुर्गों में में कोविद -19 के खतरा से 10 गुना बचाती है। यह खुलासा इजरायली स्टडी में सामने आया है। यह रिपोर्ट न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित की गई है। स्टडी फाइजर के टीके लगवा चुके लोगों पर किया गया।

अध्ययन के मुताबिक, पुष्ट संक्रमण की दर गैर-बूस्टर समूह की तुलना में बूस्टर समूह में 11.3 के कारक से कम थी। यह भी पाया गया कि गंभीर संक्रमण की दर लगभग 20 गुना या 19.5 के कारक से कम हो गई थी। अध्ययन 60 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 11 लाख इज़राइलियों के आधिकारिक आंकड़ों की समीक्षा पर आधारित है। इन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया था। एक तो वे जिन्हें अपनी दूसरी खुराक के पांच महीने के भीतर बूस्टर मिला। दूसरे वे जिन्हें बूस्टर डोज नहीं मिला।
अन्य हालिया शोध का का हवाला देते हुए अध्ययन में कहा गया है कि टीके से मिली प्रतिरक्षा दूसरी खुराक के बाद भी केवल छह महीने में ही कमजोर हो सकती है। गैर टीकाकरण वाले व्यक्तियों की तुलना में प्रतिरक्षा केवल दो बार सुरक्षा प्रदान करती है।
लेकिन, बूस्टर डोज के बाद प्रभावशीलता 95% तक बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने डेटा में किसी भी संभावित पूर्वाग्रह को ठीक करने के लिए अपनी पूरी कोशिश की। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके निष्कर्ष अकेले बेहतर प्रतिरक्षा के बजाय टीकाकरण के बाद व्यवहार परिवर्तन को दर्शा सकते हैं, क्योंकि अध्ययन ने एंटीबॉडी के स्तर को मापने का प्रयास नहीं किया।
इसके बजाय आधिकारिक मामलों की गिनती पर भरोसा किया। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने देशों से बार-बार बूस्टर डोज के लिए अपनी योजनाओं को कम करने का आग्रह किया है। क्योंकि कई विकासशील देशों को अभी तक एक भी खुराक प्राप्त नहीं हुई है। जबकि कुछ धनी देश तीसरी खुराक देने की तैयारी कर रहे हैं। इज़राइल तो चौथी खुराक के बारे में विचार कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि भारत में भी कुछ लोग बूस्टर डोज ले रहे हैं , लेकिन भारतीय विशेषज्ञों इसके प्रति आगाह किये हैं।

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