ब्रिक्स नेताओं द्वारा जारी ‘रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र’ में कहा गया, “हम आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कड़ी निंदा करते हैं और आतंकवादी हमलों को जब भी, जहां भी और किसी के द्वारा भी किया गया हो, आपराधिक और अनुचित मानते हैं।” घोषणापत्र के अनुच्छेद 34 में खासतौर पर पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए इसे मानवता पर हमला बताया गया। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के पहले ही दिन सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख अपनाते हुए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले की तीखी निंदा की है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में इस्लामी आतंकियों ने 26 हिंदुओ की जान ली थी।
नेताओं ने दोहराया कि आतंकवाद के लिए जिम्मेदार लोगों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति अपनाने और दोहरे मानदंडों को खारिज करने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा, “22 अप्रैल को पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ, वह भारत की आत्मा और गरिमा पर सीधा प्रहार था। यह हमला सिर्फ भारत पर नहीं, पूरी मानवता पर आघात था।”
मोदी ने स्पष्ट कहा कि, “आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होना चाहिए, सुविधा नहीं। यदि हम यह देखने लगें कि हमला किस देश में हुआ, तो यह मानवता के साथ विश्वासघात होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में किसी को भी संकोच नहीं करना चाहिए।
पीएम मोदी ने आतंकवाद को राजनीतिक लाभ के लिए मौन सहमति देने की प्रवृत्ति की भी आलोचना की और कहा कि “ऐसे दोहरे रवैये से यह सवाल उठता है कि क्या हम वाकई आतंक के खिलाफ गंभीर हैं?”
मोदी ने अपने संबोधन में गाजा, पश्चिम एशिया और यूरोप में जारी संघर्षों पर चिंता जताते हुए कहा कि “भारत युद्ध और हिंसा की भूमि नहीं है, हम शांति और संवाद में विश्वास करते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत विश्व को सहयोग, समन्वय और विश्वास की ओर ले जाने वाले हर प्रयास का समर्थन करता है।
अंत में प्रधानमंत्री ने सभी BRICS सदस्य देशों को अगले वर्ष भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। ब्रिक्स मंच से एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ यह कड़ा संदेश भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी का स्पष्ट और निर्णायक रुख यह संकेत देता है कि भारत आतंकवाद पर दोहरे रवैये को अब और स्वीकार नहीं करेगा।
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