टकराव के आसार: अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र की नोटिस, मांगा जवाब,अन्यथा

टकराव के आसार: अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र की नोटिस, मांगा जवाब,अन्यथा

नई दिल्ली। ममता बनर्जी और केंद्र के बीच टकराव के आसार बढ़ गए हैं। एक ओर जहां राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी को झूठा करार देते हुए बैठक में देर से पहुंचने पर उन्हें आइना दिखाया है। वहीं,दूसरी तरफ गृह मंत्रालय ने बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नोटिस भेजा है। नोटिस का तीन दिन में जवाब देना होगा अन्यथा उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो सकती है। बता दें कि अलपन मुख्य सचिव के पद से रिटायरमेंट लेकर एक दिन पहले ही ममता बनर्जी के सलाहकार बने हैं।

एक अधिकारी ने कहा, “डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) के आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारी के खिलाफ विभाग द्वारा उपयुक्त कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।” पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंदोपाध्याय को अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है।  वहीं, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल नहीं होने को लेकर मंगलवार को यह कहते हुए नया विवाद छेड़ दिया कि लोक सेवा पर अहंकार हावी हो गया है। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री चौबीसों घंटे जनसेवा में लगी हैं और राज्य के हितों को लेकर अपनी चिंता के मद्देनजर हर कदम उठाती हैं। धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कलाईकुंडा में एक बैठक से पहले उनसे बात की थी और संकेत दिया था कि यदि विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी इसमें मौजूद होंगे, तो वह इसमें शामिल नहीं होंगी।

धनखड़ ने ट्वीट किया, ”मुख्यमंत्री ने 27 मई को रात 11 बजकर 16 मिनट पर संदेश दिया, ‘क्या मैं बात कर सकती हूं, अत्यंत आवश्यक है।” उन्होंने एक अन्य ट्वीट किया, ”इसके बाद उन्होंने फोन पर संकेत दिया कि यदि विधायक शुभेंदु अधिकारी प्रधानमंत्री की चक्रवात यास संबंधी समीक्षा बैठक में शामिल होंगे, तो वह और अन्य अधिकारी इसका बहिष्कार करेंगे। लोक सेवा पर अहंकार हावी हो गया।” बैठक में अधिकारी, धनखड़ के अलावा भाजपा सांसद देबश्री चौधरी भी मौजूद थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक में इसलिए भाग नहीं लिया, क्योंकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में भाजपा के किसी विधायक के उपस्थित होने का कोई मतलब नहीं है। अधिकारी ने बनर्जी को हालिया विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से हराया था। ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा था, ”मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आम तौर पर जिस तरह से बैठक होती है उसी तरह से, लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उनके उपस्थित रहने का कोई मतलब नहीं था।” ममता बनर्जी ने पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि उन्हें बैठक में राज्यपाल और अन्य केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति पर कोई आपत्ति नहीं थी।

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