भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा देश में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के अनुमानी आंकड़ों को चुनौती दी है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय द्वारा इस्तेमाल किए गए अनुमान मॉडल की वैधता पर सवाल उठाया है।
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि पिछले दो सालों में 14.9 मिलियन लोगों ने कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई है। उन्होंने कहा कि 1 जनवरी, 2020 और 31 दिसंबर, 2021 के बीच भारत ने 4.7 मिलियन अधिक मौतों की सूचना दी थी।
वहीं भारत ने इन मौत के आंकड़ों को सिरे खारिज कर दिया है। अब इन आंकड़ों को लेकर राजनीति घमासान मचा हुआ है। विपक्ष इनको लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि पूर्वानुमान की तुलना में अधिकांश बढ़ी मौतें दक्षिण-पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुई है।
इन देशों में कुल बढ़ी मौतों का करीब 84 प्रतिशत आंकड़ा मिला है। वैश्विक स्तर पर लगभग 68 प्रतिशत अतिरिक्त मौतों का आंकड़ा केवल 10 देशों अधिक पाया गया है।रिपोर्ट के बाद भारत ने प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता के मद्देनजर कोरोनोवायरस महामारी से जुड़े अतिरिक्त मृत्यु अनुमानों को पेश करने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई।
भारत सरकार ने कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडलों की वैधता और मजबूती और डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली संदिग्ध है। डब्ल्यूएचओ में कोरोना से हुई मौतों के आकलन के लिए देशों को दो श्रेणी में टियर 1 और टियर 2 रखा है। भारत को टियर 2 श्रेणी में रखा गया है, इस बात पर भी सरकार को ऐतराज है।
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