चैत्र नवरात्र: कन्या पूजन से समृद्धि के द्वार, मंत्र जप से पूरी होगी मनोकामना!

इस दिन विशेष तौर पर ध्यान रखना जरूरी है। क्योंकि, घर के अंदर कन्या मां भगवती के स्वरूप में दाखिल होती हैं। साफ-सुथरी जगह पर ही कन्या पूजन की विधि संपन्न होनी चाहिए।

चैत्र नवरात्र: कन्या पूजन से समृद्धि के द्वार, मंत्र जप से पूरी होगी मनोकामना!

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नवमी पर कन्या पूजन कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इसी के साथ ही नवमी के दिन मां दुर्गा की आराधना करने से भी मां प्रसन्न होती हैं। मां दुर्गा की पूजा के दौरान आप दुर्गा सप्तशती में दिए इस अचूक मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे मां भक्तों की बिगड़े हुए सारे काम बना देती हैं।

नवमी के दिन कन्या पूजन के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए: नवमी के दिन कन्या पूजन की विधि करते हुए आठ या नौ दिनों का व्रत संपन्न होता है। घरों में कन्या पूजन की विधि की जाती है। लेकिन, इस दिन विशेष तौर पर ध्यान रखना जरूरी है। क्योंकि, घर के अंदर कन्या मां भगवती के स्वरूप में दाखिल होती हैं। साफ-सुथरी जगह पर ही कन्या पूजन की विधि संपन्न होनी चाहिए।

नवरात्रि का 9वां दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप को समर्पित है। इस दिन कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, कन्याओं को मां का स्वरूप माना जाता है। इस दिन व्रती अपने घर में कन्याओं को न्योता देते हैं और कन्या पूजन की विधि संपन्न कर व्रत पारण करते हैं।

इस बार 6 अप्रैल को नवमी की तिथि पड़ रही है और कन्या पूजन मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन के बाद कन्याओं को उपहार के तौर पर कुछ दक्षिणा अवश्य दें। घर में मां दुर्गा के नामों का जाप करें। इससे भक्तों पर मां की कृपा बनी रहती है।

नवमी के दिन इस मंत्र का जाप करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा मिलती है।

-: यह मंत्र कुछ इस प्रकार है :-

“या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता।।
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”

“नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता” पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था, इसी दिन दशरथ नंदन का जन्म हुआ। रामचरितमानस की यह चौपाई बालकाण्ड में वर्णित है जो प्रभु के जन्म का उद्घोष करती है। 6 अप्रैल 2025 को भारत भूमि प्रभु का जन्मोत्सव मनाएगी। भगवान भाव के प्रेमी हैं लेकिन कुछ नियम हैं जिन्हें विधिवत किया तो कृपा जरूर बरसेगी।

वाराणसी के कर्मकांडी ज्योतिषाचार्य रत्नेश त्रिपाठी के अनुसार, सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर नहा लें। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान राम की मूर्ति या तस्वीर को फूल, चंदन और चावल से सजाएं। फिर राम रक्षा स्तोत्र या रामचरितमानस पढ़ें और उनकी आरती करें।

यह काम दिन की शुरुआत को भक्ति से भर देता है। इसके अलावा रामायण या रामचरितमानस का पाठ करना भी बहुत अच्छा माना जाता है। खास तौर पर अयोध्याकांड की कहानी पढ़ें, जो श्री राम के जन्म से जुड़ी है। इससे मन में सकारात्मक सोच आती है और भक्ति बढ़ती है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।

पंडित जी के अनुसार फलाहार या निर्जला व्रत कर सकते हैं। व्रत के दौरान भगवान राम का नाम लें और मन को शांत रखें। साथ ही गरीबों की मदद करना न भूलें। उन्हें खाना, कपड़े या पैसे दान करें। ऐसा करने से पुण्य मिलता है और भगवान की कृपा बनी रहती है। अगर मुमकिन हो तो पास के राम मंदिर में जाएं। वहां दर्शन करें और भजन-कीर्तन में हिस्सा लें। इससे मन को बहुत सुकून मिलता है।

घर पर प्रसाद बनाना भी इस दिन का खास हिस्सा है। खीर, हलवा या पंजीरी बनाएं और पहले इसे भगवान को चढ़ाएं। फिर परिवार और पड़ोसियों में बांट दें। यह खुशहाली फैलाने का अच्छा तरीका है। इसके बाद परिवार या दोस्तों के साथ मिलकर श्री राम के भजन गाएं। उनकी जिंदगी की कहानियां सुनें और सत्संग करें। इससे घर का माहौल पवित्र बनता है और भक्ति का भाव जागता है।

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