चीन के साथ संबंधों में तनातनी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश से लगी भारत-चीन सीमा पर आधारभूत ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है| भारत सरकार ने राज्य के सीमावर्ती इलाकों में आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए बीते साल के मुकाबले छह गुनी ज्यादा रकम आवंटित की है|
अरुणाचल से लगी सीमा पर अपहरण और घुसपैठ के साथ चीनी सेना के अवैध अतिक्रमण और सीमा पार आधारभूत ढांचा मजबूत करने की चीनी पहल को ध्यान में रखते हुए सरकार के इस फैसले को बेहद अहम माना जा रहा है| खासकर बलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन पूर्वोत्तर के सीमावर्ती इलाके में तेजी से आधारभूत परियोजनाएं विकसित करने में जुटा है|
क्षेत्र में बेरोजगारी को देखते हुए स्थानीय युवकों के चीनी सेना के हाथों अपहरण और चीनी सेना के लिए काम करने की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से आधारभूत ढांचा विकसित करने की मांग कर रहे थे| तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अब सरकार ने इस मद में 249.12 करोड़ रुपये की रकम आवंटित की है, जबकि बीते वर्ष यह महज 42.87 करोड़ थी|
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया है कि वर्ष 2021-22 में 602.30 करोड़ रुपये बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट (बीआईएम) योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए आवंटित किए गए हैं|जबकि 2020-21 में यह बजट 355.12 करोड़ रुपये था|उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वर्ष 2020-21 में पूर्वोत्तर में भारत-चीन सीमा के लिए बीआईएम के तहत 42.87 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे| लेकिन वर्ष 2021-22 में 249.12 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं|
लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा है| इसमें अरुणाचल प्रदेश के साथ 1,126 किलोमीटर लंबी सीमा शामिल है|भारत और चीन के बीच अप्रैल 2020 से लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है|
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