प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बने डॉक्यूमेंट्री को लेकर मानहानि मुकदमे में दिल्ली हाई कोर्ट ने बीबीसी को समन जारी किया है। डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि इसके जरिए भारत और उसकी न्यायपालिका के साथ-साथ पीएम मोदी की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है।
गौरतलब है कि बीबीसी की ओर से 17 जनवरी को ‘द मोदी क्वेश्चन’ नाम से डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिशोड रिलीज किया गया था। हालांकि, दूसरा एपिसोड इसके अलगे हफ्ते रिलीज होना था लेकिन उससे पहले ही डॉक्यूमेंट्री के कंटेट को लेकर बवाल खड़ा हो गया। सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगा दिया जिसके बाद इसे यूट्यूब से हटा लिया गया।
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) के खिलाफ गुजरात की गैर लाभकारी संगठन जस्टिस ऑन ट्रिला ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है। संगठन ने दावा किया है कि बीबीसी ने अपने डॉक्यूमेंट्री के जरिए पीएम मोदी की छवि के साथ-साथ भारत और न्यायपालिक की छवि को नुकसान पहुंचाया है। डॉक्यूमेंट्री को लेकर मामला इतना गर्म हो गया था ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को संसद में बयान देना पड़ा था। सुनक ने कहा था कि वो डॉक्यूमेंट्री से सहमत नहीं है।
जस्टिस सचिन दत्ता ने BBC (ब्रिटेन) के अलावा BBC (भारत) को भी नोटिस जारी किया है और उनसे गुजरात के गैर सरकार संगठन ‘जस्टिस फॉर ट्रायल’ की ओर से दायर मुकदमे पर जवाब देने को कहा है। NGO की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री पर झूठे आरोप लगाए गए हैं।
इससे पहले 3 मई को दिल्ली की एक जिला कोर्ट ने भी बीजेपी नेता बिनय कुमार सिंह की तरफ से दाखिल मानहानि मामले में BBC, विकिमीडिया और इंटरनेट आर्काइव को नोटिस जारी किया था। बीजेपी नेता ने अपनी याचिका में कहा था कि भारत में इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लग चुका है, इसलिए इन तीनों कंपनियों को इसे प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए।
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