उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। भू-धंसाव ने क्षेत्र के सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीएमओ लगातार मामले की निगरानी कर रहा है। वहीं जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद कम से कम 93 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। राज्य के चमोली जिले में, बदरीनाथ तथा हेमकुंड साहिब के रास्ते में आने वाला जोशीमठ समुद्र तल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने बताया कि अब तक शहर के विभिन्न इलाकों में 581 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। इनमें रविग्राम में 153, गांधीनगर में 127, मनोहरबाग में 71, सिंहधार में 52, परसारी में 50, अपर बाजार में 29, सुनील में 27, मारवाड़ी में 28 और लोअर बाजार में 24 मकान शामिल हैं। शहर के मनोहर बाग वार्ड, गांधी वार्ड और सिंधार वार्ड में लोगों ने घरों में दरार आने की बातें कही गई।
गेटवे ऑफ हिमालय’ के नाम से मशहूर जोशीमठ भू-धंसाव के कठिन दौर से गुजर रहा है। नगर क्षेत्र में भू-धंसाव से मकानों के साथ कृषि भूमि के भी प्रभावित होने की घटनाएं आईं। यहां खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी और कई जगहों पर तो खेतों की दरारें एक फीट तक चौड़ी हो गईं। वहीं तहसील प्रशासन, नगर पालिका, आपदा प्रबंधन और एसडीआरएफ की संयुक्त टीम ने घर-घर जाकर बारीकी से निरीक्षण किया।
जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति तब अधिक बिगड़ी जब जोशीमठ रॉक से पानी रिसता देखा गया। जमीन से निकल रहा पानी खेतों की दरारों में घुस रहा है इससे खतरा और भी बढ़ गया। जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव ने बुधवार को विकराल रूप ले लिया। क्षेत्र के भी वार्डों के घरों दरारें आने से लोग दहशत में आ गए। सिंहधार वार्ड में होटल माउंट व्यू जमीन धंसने से तिरछा हो गया। जिसके बाद प्रशासन होटल को खाली करवा दिया।
भू धंसाव मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को राज्य सचिवालय में उच्चस्तरीय बैठक की है। उन्होंने कहा, जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव के सन्दर्भ में हम पूरी सजगता से कार्य कर रहे है, साथ ही उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर इस समस्या से संबंधी विषयों पर गहन मंथन कर हम इसके समाधान के लिए कार्यरत हैं। तकनीकी विशेषज्ञों की टीम वहां पहुंच चुकी है, मैं स्वयं भी जाकर स्थिति का जायजा लूंगा।
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