नई दिल्ली । अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने नए शैक्षणिक सत्र से हिंदी समेत आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने को अपनी ऐतिहासिक मंजूरी दे दी है। भविष्य में बढ़ाकर 11 भाषाओं में कर दिया जाएगा। फिलहाल जिन भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की अनुमति दी गई है उनमें हिंदी के अलावा मराठी, बंगाली, तेलुगु, तमिल, गुजराती, कन्नड़ और मलयालम शामिल हैं। जापान, रूस, चीन, जर्मनी समेत कई देश ऐसे हैं जहां पर किसी भी कोर्स को करने के लिए पहले वहां की भाषा सीखनी जरूरी होती है।
इन देशों में इनकी ही भाषा में पढ़ाई की जाती है। लेकिन, जहां पर इन देशों में एक ही भाषाएं बोली जाती हैं वहीं भारत में अलग-अलग भाषा बोली जाती हैं। एआइसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने माना है कि वर्तमान में लिया गया फैसला नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने की एक पहल के तौर पर लिया गया है। हालांकि अभी ये फैसला आठ भाषाओं के लिए किया गया है पर भविष्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई 11 भाषाओं में कराई जाएगी। अब तक 14 इंजीनियरिंग कालेजों ने हिंदी समेत पांच भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की इजाजत मांगी है। इसके पाठ्यक्रम को भी इन सभी भाषाओं में तैयार करने का काम शुरू हो चुका है।
इसके लिए सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है। ये सॉफ्टवेयर 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर सकता है। इसकी मदद से सबसे पहले प्रथम वर्ष का कोर्स तैयार किया जा रहा है। उनके मुताबिक कई वर्षों से कुछ संस्थानों में पहले से इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में कराई जा रही है। भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई को अंग्रेजी में कराया जाता रहा है। लेकिन एआईसीटीई के नए फैसले के बाद इसमें कई रूप से क्रांतिकारी बदलाव आएगा। इससे न सिर्फ क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ोतरी मिलेगी बल्कि हिंदी भी और अधिक समृद्ध होगी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस बात की मांग काफी समय से उठती रही थी कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई को भी हिंदी में कराए जाने का विकल्प होना चाहिए।