रूस-यूक्रेन युद्ध की भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं, जबकि अभी युद्ध जारी है| इस युद्ध में अब तक लाखों लोग बेघर हो गये हैं| लोग रिफ्यूजी बनने को मजबूर हैं| वही कितने अपने परिवार से बिछड़ गये हैं| दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी इस युद्ध का असर देखने को मिल रहा है|अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया ने हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का ऐलान किया था जिस पर तिलमिलाए चीन ने कहा था कि इन देशों को एक और यूक्रेन जैसा संकट पैदा करने से बचना चाहिए|
चीन के इस बयान का क्या मतलब है? क्या वह ताइवान पर हमला करने का प्लान बना रहा है? इस सवाल के जवाब में डिफेंस एक्सपर्ट ने कहा कि यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए चीन को ताइवान पर हमला करने का प्रोत्साहन तो मिला है| यूक्रेन पर रूस के हमले को अमेरिका और उसके साथी देश मिलकर भी रोक नहीं पाए| NATO, UN, अमेरिका कोई भी रूस को यूक्रेन पर बमबारी करने से रोकने में सफल नहीं हो पाया| यह सब देखते हुए लगता है कि मौका मिला तो चीन ताइवान पर हमला करने से हिचकिचाएगा नहीं|
रूस-यूक्रेन और चीन-ताइवान की स्थिति एक जैसी नहीं है| रूस और यूक्रेन की भाषा, संस्कृति सब कुछ अलग है, जबकि ताइवान और चीन की भाषा, संस्कृति सब कुछ एक जैसा है| यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उससे NATO, US पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है| कहने को भले ही यह देश कुछ भी कहते रहें|
वही, यदि ताइवान पर चीन हमला करता है तो साउथ कोरिया और जापान के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा| ऐसे में संभावना है कि ये दोनों देश अमेरिका का इंतजार किए बिना ही ताइवान की मदद के लिए अपनी सेना उतार देंगे| इन दोनों ही देशों की सेना दुनिया की ताकतवार सेनाओं में गिनी जाती है|
यूक्रेन में रूस का हमला और अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा, हाल ही में हुई ये दो घटनाएं ऐसी हैं जिनसे अमेरिका से दुनिया का भरोसा कम हुआ है| यूक्रेन पूरी तरह तबाह हो गया, लेकिन अमेरिका दुनिया को अनाज देने वाले इस देश की रक्षा करने में विफल रहा| यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की मदद की गुहार लगा रहे हैं लेकिन जिस मदद की उम्मीद वह कर रहे थे उसका इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है|
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