बैंक की क्रेडिट पॉलिसी कमेटी की 51वीं बैठक 7 से 9 अक्टूबर तक आयोजित की गई थी। इस बीच रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। एमपीसी ने रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के लिए 5:1 से मतदान किया, जिसमें तीन RBI के और तीन बाहरी सदस्य शामिल थे।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सफल रही है। गौरतलब है कि फरवरी 2023 में आरबीआई ने प्रमुख उधार दरों में बदलाव किया था। रेपो दर को स्थिर रखा गया है क्योंकि आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को संतुलित रखने के लिए सतर्क है।
ने फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। यह 10वीं बार है जब मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अच्छी खरीफ फसल और अच्छे साल के कारण खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि सकल मुद्रास्फीति निचले स्तर पर आ गयी है.’ आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है।
बता दें की, मुद्रास्फीती के दबाव के कारण मौद्रिक नीति समिति को बैंकों के लिए रेपो रेट बढ़ाने पड़ते है, जिससे बैंकों को लोन के लिए दिए पैसों पर ज्यादा ब्याज देना पड़ता है। इस ब्याज का बोझ आम आदमी पर पड़ता है, बैंक लोन महंगे हो जाते है। लेकीन लगातार दसवीं बार बैंक ने रेपो रेट बरकरार रखकर लोगों को मुद्रास्फीति का दबाव महसुस नहीं होने दिया। इसी के साथ लोन भी महंगे नहीं हुए है।
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इस सकारात्मक खबर के बाद शेयर मार्केट में तेजी का माहौल देखा गया जब सेंसेक्स 650 पॉइंट के साथ उछला, और निफ्टी फ़िलहाल 110 पॉइंट्स के साथ उपर जाते हुए दिख रहा है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने हाल ही में बेंचमार्क रेट में 0.5 फीसदी की कटौती की है। वहीं, कुछ अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरें कम कीं। लेकिन आरबीआई ने विश्वभर में युद्धस्थिती, महंगाई को देखते ऐसा कोई फैसला नहीं लिया और ब्याज दरों को यथावत रखा।