हिमाचल के जंगलों की आग रोकने को वन विभाग अलर्ट मोड में, जागरूकता अभियान शुरू!

यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर जंगल में आग लगाता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हिमाचल के जंगलों की आग रोकने को वन विभाग अलर्ट मोड में, जागरूकता अभियान शुरू!

Forest department in alert mode to prevent forest fires in Himachal, awareness campaign started!

हिमाचल प्रदेश के जंगलों में हर साल गर्मियों के दौरान लगने वाली आग न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा बनती है, बल्कि करोड़ों की संपत्ति और जैव-विविधता को भी भारी नुकसान पहुंचाती है। बीते वर्ष राज्य में जंगल की आग की 2,400 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई थीं, जिनमें लगभग 30,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र भस्म हो गया था। इससे वन विभाग को करीब 10 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

पिछले साल की तबाही से सबक लेते हुए इस बार वन विभाग ने समय से पहले तैयारियां शुरू कर दी हैं। फायर सीज़न की शुरुआत 15 अप्रैल से मानी जाती है, लेकिन विभाग ने अबकी बार पहले ही सख्त गाइडलाइंस जारी कर जंगलों को आग की विभीषिका से बचाने का अभियान छेड़ दिया है।

वन विभाग की रणनीति में इस बार विशेष जोर ग्रामीणों और जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को जागरूक करने पर दिया गया है। विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर लोगों को यह समझाएंगी कि वे सूखी झाड़ियों को न जलाएं, जंगल की साफ-सफाई करते वक्त सावधानी बरतें, और किसी भी गतिविधि से पहले सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करें। खास ध्यान उन इलाकों पर दिया जाएगा जहां जंगलों के निकट खेत, घर या घासनी हैं। स्थानीय नागरिकों को बताया जाएगा कि लापरवाही से लगाई गई एक छोटी सी चिंगारी भी हजारों हेक्टेयर वन भूमि को नष्ट कर सकती है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्य आरण्यपाल निशांत मण्डोत्रा ने स्पष्ट किया कि इस बार कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा, “पिछले साल हुई भयावह घटनाओं से हमने सबक लिया है। इस बार हमारे पास ठोस रणनीति है और हर स्तर पर सतर्कता बरती जा रही है।”

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर जंगल में आग लगाता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सभी डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर्स (DFOs) को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी यूनिट्स को सक्रिय रखें, जंगल क्षेत्रों में नियमित गश्त कराएं और आग लगने की किसी भी आशंका पर तुरंत एक्शन लें।

वन विभाग की यह पहल न केवल जंगलों को आग से बचाने में कारगर होगी, बल्कि इससे जैव-विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय आबोहवा को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी। जंगलों की सुरक्षा हिमाचल की जीवन रेखा है और इस अभियान से राज्य को दीर्घकालिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

यह भी पढ़ें:

अमेरिका-चीन व्यापार वार: पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज ‘गिरा धड़ाम’!

टैरिफ का कहर: गोल्ड और क्रूड ऑयल की कीमतों में आई जबरदस्त गिरावट!

नई दिल्ली: सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया! 

Exit mobile version