पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद आज दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। 1947 में भारत के विभाजन के दौरान मुशर्रफ के परिवार ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। वह कराची में बस गए। मुशर्रफ उस वक्त चार साल के थे।
मुशर्रफ 1961 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए। 1999 में, मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका। वह 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
अप्रैल से जून 1999 के बीच कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। इस जंग के दौरान परवेज मुशर्रफ सुर्खियों में आए थे। उस समय वह पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे। शुरुआत में मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध की जानकारी पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से भी छुपाई थी। जिहादियों के भेष में पाकिस्तानी सैनिकों के सीमा पार करने के बाद भी मुशर्रफ ने इस रहस्य को किसी के सामने प्रकट नहीं किया।
जब पाकिस्तानी सेना कारगिल की सीमा पर पहुंची तो मुशर्रफ ने इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को दी| हालांकि, महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए गए। जिहादियों के भेष में सैनिकों को भेजने के बाद, भारतीय खुफिया एजेंसियों को गुमराह करने के लिए एलओसी के पास रेडियो पर फर्जी संदेश भेजे गए। ये संदेश बाल्टी और पश्तो भाषाओं में थे। उस वक्त एलओसी पर मौजूद सभी आतंकी और पाकिस्तानी सेना इन्हीं दो भाषाओं में बातचीत करते थे।
मुशर्रफ का इरादा इस संदेश के जरिए यह भ्रम पैदा करना था कि कारगिल में जिहादी और आतंकवादी सक्रिय हैं। ताकि भारत और दुनिया को यह संदेश जाए कि यह पाकिस्तानी सैनिकों की हरकत नहीं है। गलतफहमी को और बढ़ाने के लिए रेडियो पर यह संदेश भी प्रसारित किया गया कि पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों के खिलाफ है।
मुशर्रफ ने पाकिस्तानी मीडिया को भी गलत जानकारी देकर पाकिस्तानी जनता को गुमराह किया। लेकिन उनकी इस योजना का खुलासा कई सालों बाद नवाज शरीफ की लिखी एक किताब में हुआ। नवाब शरीफ ने यह भी कहा कि उन्होंने परवेज मुशर्रफ को सेना की जिम्मेदारी देकर गलती की|
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