नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के बाद पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर जुर्माना, हिंसा के आरोपों के बीच बहस तेज

राजशाही समर्थक पहले से अधिक सक्रिय हो गए हैं और नेपाल में 2008 में समाप्त हुई राजशाही की पुनर्बहाली की मांग कर रहे हैं।

नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के बाद पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर जुर्माना, हिंसा के आरोपों के बीच बहस तेज

Nepal: Former King Gyanendra Shah accused of anti-republic activities, political parties appeal for unity!

नेपाल की राजधानी काठमांडू में हाल ही में हुए राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति और पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर 7,93,000 नेपाली रुपये का जुर्माना लगाया है।

केएमसी ने शनिवार(29 मार्च) को पूर्व राजा के निवास महाराजगंज में एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया, “आपके आह्वान पर हुए विरोध प्रदर्शन के कारण काठमांडू शहर की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है, और सार्वजनिक स्थानों को प्रदूषित किया गया है। इससे नागरिकों को असुविधा हुई है, इसलिए नगर निगम के नियमों के तहत यह जुर्माना लगाया जा रहा है।”

केएमसी के प्रवक्ता नवराज ढकाल ने कहा, “हमारे पास सबूत हैं कि विरोध के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर अवैध रूप से बैनर लगाए गए, दीवारों पर नारे लिखे गए और जगह-जगह कूड़ा-कचरा फैला। जुर्माना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और कचरा प्रबंधन कानून के तहत लगाया गया है।”

शुक्रवार (28 मार्च)को हुए इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों और वाहनों पर हमला किया, जिससे पुलिस ने बल प्रयोग किया।

नेपाल पुलिस प्रवक्ता दान बहादुर कार्की ने कहा, “हमने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया, लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इस हिंसा में दो लोगों की जान गई और 110 अन्य घायल हो गए।” हालांकि, राजशाही समर्थकों ने प्रशासन पर दमन का आरोप लगाया। प्रदर्शन आयोजक दुर्गा प्रसाद ने कहा, “हमने शांतिपूर्ण रैली निकाली थी, लेकिन सरकार के इशारे पर पुलिस ने हमारे लोगों को निशाना बनाया। यह नागरिक अधिकारों का हनन है।”

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने हाल ही में लोकतंत्र दिवस के अवसर पर कहा था, “समय आ गया है कि हम देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय एकता लाने की जिम्मेदारी लें।” इस बयान के बाद राजशाही समर्थक पहले से अधिक सक्रिय हो गए हैं और नेपाल में 2008 में समाप्त हुई राजशाही की पुनर्बहाली की मांग कर रहे हैं।

नेपाल के नागरिक समाज के नेताओं ने ज्ञानेंद्र शाह की आलोचना करते हुए कहा, “एक लोकतांत्रिक गणराज्य में, पूर्व राजा को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए। इससे देश की स्थिरता को खतरा हो सकता है।”

नेपाल सरकार ने इस हिंसा के मद्देनजर ज्ञानेंद्र शाह के पासपोर्ट को रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम कानून के तहत कार्रवाई कर रहे हैं। किसी भी नागरिक को हिंसा भड़काने का अधिकार नहीं है, चाहे वह कोई भी हो।” इस घटनाक्रम के बाद नेपाल में राजशाही समर्थकों और सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है। आने वाले दिनों में और विरोध प्रदर्शन होने की संभावना है, जबकि सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठा सकती है।

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