गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस !

इनमें सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एक अन्य याचिकाकर्ता शामिल हैं। 11 अपराधियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए याचिका में इस फैसले को वापस लेने की मांग की गई है| 

गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस !

Supreme Court notice to Gujarat government

गोधरा हत्याकांड और उसके बाद गुजरात में हुई हिंसा और दंगों से सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए थे। ऐसे कई मामले अदालतों में सुने गए हैं और अन्य अभी भी लंबित हैं। ऐसा ही एक मामला है बिलकिस बानो गैंगरेप केस। इस मामले में आरोपियों को उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई थी।
हालांकि कुछ दिन पहले इन आरोपियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया था। इस मुद्दे को लेकर देश में माहौल गरमा गया है| गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई हैं और अब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है| इन आरोपियों को किस आधार पर छोड़ा गया? इस संबंध में कोर्ट से सवाल किया गया है।
गुजरात सरकार के इस फैसले का विरोध करने वाली कुल तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं| इनमें सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एक अन्य याचिकाकर्ता शामिल हैं। 11 अपराधियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए याचिका में इस फैसले को वापस लेने की मांग की गई है|
मुख्य न्यायाधीश एन. वी इन याचिकाओं की सुनवाई रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चल रही है| इन सभी मामलों में सवाल यह है कि क्या गुजरात सरकार के कानून में अपराधियों की इतनी जल्दी रिहाई का प्रावधान है या नहीं? हमें यह भी देखना होगा कि क्या इन अपराधियों को बरी करते समय पूरे मामले पर पूरी तरह से विचार किया गया है। इसके अलावा, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि 11 आरोपियों को भी मामले में याचिकाओं में प्रतिवादी बनाया जाए।
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