ताइवान पर चीन का संकट मंडरा रहा है, ऐसे में दुनिया भर के सेमीकंडक्टर की पूर्ती पर भी संकट की घड़ी बनी हुई है। वहीं भारत ने सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भरता की ओर अपने कदम उठाए है, लेकीन इनकी चिप के लिए सिलिकॉन धातु कच्चा माल होता है। आज की बात करें तो चीन दुनिया की 95 प्रतिशत सिलिकॉन मार्केट चलता है यानि, भारत को सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन पर निर्भर होना होगा। इसी आत्मनिर्भरता का जवाब हमें दावोस के इन्वेस्टमेंट समिट में मिला है।
H2 Earth कंपनी ने भारत में सिलिकॉन की निर्मिती के लिए निवेश करने को तैयार है। ‘H2 अर्थ’ की भारत में यह पहली सिलिकॉन मेटल निर्मिती करने वाली कंपनी हो सकती है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इस प्रोजेक्ट पर हामी भरते हुए कंपनी की प्रोग्रेस रिपोर्ट मंगवाई है। साथ ही कंपनी को विभिन्न योजनाऐं और सहूलियत देने की तैयारी दिखाई है।
H2 अर्थ के निदेशक नैतिक ने मिडिया से बात करते हुए कहा, “मंत्री अश्विनी वैष्णव की पसंदीदा परियोजनाओं में से एक भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग का विकास करना है। हम जो पारिस्थितिकी तंत्र में ला रहे हैं वह सिलिकॉन धातु वाला हिस्सा है जो सेमीकंडक्टर के लिए शुरुआती ब्लॉक है। सिलिकॉन के बिना आपके पास सेमीकंडक्टर नहीं हो सकता। अभी, सिलिकॉन धातु की आपूर्ति का 90-95% चीन द्वारा एकाधिकार किया जाता है। इसलिए, यह भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक गंभीर खतरा है कि अगर हम अपनी सिलिकॉन धातु का उत्पादन नहीं करते हैं तो हम अभी भी अपने सेमीकंडक्टर का उत्पादन करने के लिए चीन के हाथों में रहेंगे। इसलिए, अब हम सेमीकंडक्टर उद्योग को आपूर्ति करने के लिए पहला सिलिकॉन धातु संयंत्र प्रस्तावित कर रहे हैं ताकि हम पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर कब्जा कर सकें।”
अश्विनी वैष्णव के साथ बैठक पर उन्होंने कहा,”हमारी एक बहुत ही उत्साहजनक बैठक हुई। मंत्री वैष्णव बहुत उत्साहजनक रहे हैं, उन्होंने हमें एक विस्तृत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। उन्होंने हमें सरकार से बहुत सारी सब्सिडी और बहुत सारे समर्थन और मदद का वादा किया है। हम पहले से ही सऊदी अरब में इस परियोजना को शुरू कर रहे हैं…मुझे लगता है कि भारत सही जगह है…यह एक बड़ा है निवेश, इससे बहुत सारे रोजगार पैदा होंगे और यह हमारे प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण के साथ बहुत अच्छी तरह से काम करेगा…”
वहीं H2 अर्थ की महाराष्ट्र सरकार के साथ समझौते भी हुए है, जिस पर, उन्होंने कहा, “हमने अभी-अभी सीएम फडणवीस के साथ अपनी बैठक समाप्त की है। वह बहुत उत्साहजनक थे। हम एक बड़ा निवेश कर रहे हैं – यह भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लस ग्रीन अमोनिया प्लांट होगा। यह भारत में व्यावसायिक क्षमता पर पहला प्लांट होगा, इसे महाराष्ट्र में स्थापित किया जाएगा, संभवतः रत्नागिरी-पालघर क्षेत्र में। हमने अभी-अभी एक बड़ी स्पेनिश कंपनी के साथ एक प्रौद्योगिकी समझौता किया है जो ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया का एक प्रमुख उत्पादक है। इसका एक मुख्य आकर्षण, जिसे सीएम फडणवीस ने वास्तव में सराहा, वह वास्तविक तकनीकी हस्तांतरण था। अधिकांश यूरोपीय कंपनियां तकनीकी हस्तांतरण की अनुमति नहीं देती हैं, हम हमेशा तकनीक के लिए उन पर निर्भर रहते हैं। लेकिन इस बार, हमने एक तकनीकी हस्तांतरण पर बातचीत की है ताकि तकनीक और प्लांट ऊपर से नीचे तक भारत में बने… प्रारंभिक अवधारणा लगभग 2000 करोड़ रुपये – लगभग 250 मिलियन डॉलर की होगी। यह पहला प्लांट होगा जिसे स्थापित किया जा रहा है। जैसे-जैसे निवेश बढ़ता जाएगा, अगले 3-4 वर्षों में हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह एक बिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा…”
बता दें की, H2 अर्थ सऊदी अरेबिया में सिलिकॉन मेटल निर्मिती के लिए अपने अंतिम चरणों में पहुंच चुकी है, वहीं भारत में सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भता पाने के लिए ये मील का पत्थर सबित होगा।