राजधानी भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल में दूसरे दिन 26 मार्च को सुप्रसिद्ध गायिका भारत रत्न स्वर्गीय लता मंगेशकर को समर्पित मास्टर क्लास “यादें : लता मंगेशकर” हुई। लता जी के जीवन से जुड़ी बातें साझा करते हुए प्रसिद्ध आवाज कलाकार डॉ. हरीश भिमानी ने बताया कि वीर सावरकर के कारण ही भारत को लता जी की आवाज सुनने को मिली।
डॉ भिमानी ने कहा कि सावरकर न होते तो लता जी गाना छोड़ चुकी होतीं। लता जी ने वीर सावरकर से कहा था कि वे देश सेवा करना चाहती हैं, भले ही इसके लिए उन्हें गायन छोड़ना पड़े। तब वीर सावरकर ने उन्हें समझाया कि आप जो काम कर रही हैं, वह भी देश सेवा का एक माध्यम है। लताजी के मन में वीर सावरकर के प्रति पूरी श्रद्धा थी और वे इसे खुलकर इसे प्रकट करती थीं।
महाभारत में ‘मैं समय हूं’ आवाज देने वाले डॉ. भिमानी ने कहा कि लता जी छत्रपति शिवाजी महाराज को देवतुल्य मानती थीं। उन्होंने कहा कि दुनिया लता जी को सरस्वती मानती हैं, लेकिन वो खुद को मीरा मानती थीं। जिनको लता जी अपना पूरा जीवन समर्पित कर सकती थी, वे श्री कृष्ण थे। लता जी सिर्फ कृष्णप्रिय ही नहीं अपितु कृष्ण उपासक भी थीं। उनकी प्रिय पुस्तक श्रीमद भगवतगीता थी।
डॉ. भिमानी ने कहा कि लताजी लोगों से बहुत कम बात करती थीं लेकिन वे सच्ची बात करती थीं। वे सबसे ज्यादा खुद से बात करती थीं। उन्होंने एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि उन्हें लताजी से दो बार डांट पड़ी। इस अवसर पर लताजी के प्रिय गानों को सुनाया गया। मास्टर क्लास का संचालन वरिष्ठ कला समीक्षक अनंत विजय ने किया।
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