आधार सबसे महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज है|आधार कार्ड का इस्तेमाल बैंक से लेकर कई सरकारी योजनाओं और पहलों के लिए किया जाता है। आधार का उपयोग घर के पते, जन्मतिथि या अन्य कार्यों के प्रमाण के लिए किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि आधार कार्ड जन्मतिथि के लिए वैध दस्तावेज नहीं है। इस संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है| उस फैसले में दुर्घटना में मरने वाले व्यक्ति के आधार कार्ड पर जन्मतिथि को स्वीकार किया गया था|
क्या दिया था आदेश: जब आधार कार्ड योजना सुप्रीम कोर्ट में आई तो इस संबंध में कई मामले दायर किए गए। लेकिन कोर्ट ने इसे सरकारी पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी| न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइया की पीठ ने कहा कि स्कूल प्रमाणपत्र पर जन्म तिथि मान्य होगी। पीठ ने केंद्र सरकार के पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि 20 दिसंबर 2018 को जारी केंद्र सरकार के पत्र में कहा गया है कि आधार कार्ड पहचान का प्रमाण है| लेकिन यह जन्मतिथि मानक नहीं है|
क्या था मामला: एक दुर्घटना के मामले में जिला न्यायालय द्वारा मृतक के परिजनों को 19,35,400 मुआवजा दिया गया था, लेकिन हाई कोर्ट ने आधार कार्ड पर जन्मतिथि के आधार पर राशि घटाकर 9,22,336 कर दी। आधार कार्ड पर मौजूद जन्मतिथि के मुताबिक शख्स की उम्र 47 साल थी, लेकिन परिवार ने स्कूल सर्टिफिकेट पर उम्र 45 साल बताई|
इसके लिए जन्मतिथि के प्रमाण के तौर पर स्कूल छोड़ने वाला छात्र दिया जाता था। लेकिन हाई कोर्ट ने आधार कार्ड पर जन्मतिथि को सही माना, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया तो आधार कार्ड जन्मतिथि के लिए वैध दस्तावेज नहीं है। स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र एक वैध दस्तावेज़ कहा जाता है।
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