भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालने को तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी रूपरेखा ‘मानवता सर्वप्रथम’ के दृष्टिकोण पर आधारित बताई है। रियो डी जनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत की आगामी भूमिका और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा, और वैश्विक दक्षिण के लिए समर्पण पर बल दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत ब्रिक्स को एक नए स्वरूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करेगा—जिसका आधार होगा लचीलापन, नवाचार और सहयोग।” उन्होंने इस अवसर पर ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा को शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए बधाई दी और उनकी मेहमाननवाजी का आभार जताया।
ब्रिक्स सत्र में बोलते हुए पीएम मोदी ने दो टूक कहा कि भारत के लिए जलवायु न्याय कोई विकल्प नहीं बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए यह सिर्फ ऊर्जा की बात नहीं, बल्कि जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन की बात है।” उन्होंने जलवायु संरक्षण के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा की—जिनमें अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन, ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस, बिग कैट एलायंस, मिशन लाइफ, और ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसी पहलों का उल्लेख किया।
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत ने पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले हासिल किया है। उन्होंने विकासशील देशों को जलवायु संकट से निपटने के लिए सस्ती फाइनेंसिंग और तकनीक ट्रांसफर की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा पर बोलते हुए बताया कि भारत ने “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” के मंत्र को अपनाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने न सिर्फ कोविड काल में दुनिया की मदद की बल्कि डिजिटल हेल्थ और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के जरिए दूरस्थ इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई हैं।
उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, योग, यूनानी और सिद्ध के साथ डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के संयोजन को भी भारत की एक बड़ी उपलब्धि बताया। भारत इन सफलताओं को वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ साझा करने को तैयार है। मोदी ने 2022 में शुरू हुए ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान और विकास केंद्र की सराहना की और ‘सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन के लिए ब्रिक्स साझेदारी’ बयान को मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ्य क्षेत्र में ब्रिक्स सहयोग को नई दिशा देगा।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता में वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को प्राथमिकता दी जाएगी और जनकेंद्रित सोच के साथ “मानवता पहले” के दृष्टिकोण को अपनाया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम ब्रिक्स को ‘क्षमता निर्माण, सहयोग व सतत विकास के लिए अन्वेषण’ का मंच बनाएंगे।”
प्रधानमंत्री मोदी ने रियो में दिए गए अपने समापन भाषण में कहा, “हम ब्रिक्स को ऐसा मंच बनाना चाहते हैं, जहां दुनिया की उभरती आवाजें सुनी जाएं और मानवता के हित में काम हो। एक बार फिर, मैं राष्ट्रपति लूला को इस सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं।”
भारत की आगामी ब्रिक्स अध्यक्षता से न केवल वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका और मजबूत होगी, बल्कि विकासशील देशों की आवाज को भी वैश्विक नीति निर्माण में और मजबूती मिलेगी।
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